आसान नहीं है नदरू की हार्वेस्टिंग करना

जम्मू,, 8 दिसंबर (हि.स.)। श्रीनगर से मात्र 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित अंचार झील के ठंडे और प्रदूषित पानी के बीच नदरू, यानि कमल के तने को इकट्ठा करने के लिए रोजाना नदरू हार्वेस्टर कड़ी मेहनत करते हैं। यह झील जो कभी जीविका का स्रोत थी अब जहरीली हो गई है, जिससे इसमें से नदरू निकालने वाले लोगों के जीवन को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

यह लोग वेटसूट पहनने के बाद झील के ठंडे और गंदे पानी में गोता लगाते हैं। जबकि ठंड के कारण इनकी उंगलियां टेढ़ी और पैर मुड़ जाते हैं। जोखिम भरा काम नदरू हार्वेस्टर को रोजाना चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें दूषित पानी के छींटे उनकी आंखों, कानों या नाक में जाने से संक्रमण का खतरा भी रहता है। खुले घावों में संक्रमण के कारण दो लोगों की अभी तक जान भी जा चुकी है। हालांकि यह काम वैसा नहीं है जैसा लोग सोचते हैं, शिकारे में बैठकर नदरू की फसल नहीं ली जा सकती। इनका कहना है कि नदरू सतह से 7 फीट नीचे होते है और उन्हें ऊपर लाना आसान नहीं है। इसमें जब लोग गोता लगाते हैं और अपने पैरों से कमल के डंठलों की तलाश शुरू करते हैं, जिससे पानी में कंपन पैदा होता है तो झील अपने गंदे रहस्यों को उजागर करती है। हवा में एक तेज बदबू भर जाती है जिससे बाहरी लोगों का वहाँ रहना लगभग असंभव हो जाता है। यानि जिस नदरू को हम बड़े चाव से खाते है उसकी फसल इतनी आसानी से नहीं होती है। इसके लिए नदरू हार्वेस्टर को हाड़ कपा देने वाली सर्दी को सहन करना पड़ता है।

हिन्दुस्थान समाचार / अश्वनी गुप्ता

   

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