किसानों को रोकने के लिए तुगलकी फरमान जारी करना निंदनीय : सैलजा

कहा- लोकतंत्र में सभी नागरिकों को अपनी बात कहने का अधिकार है

चंडीगढ़, 5 दिसंबर (हि.स.)। भाजपा सरकार किसानों व आम जनता की आवाज को दबाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत यदि कोई अपनी बात सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं तो उन्हें रोकने के लिए भी सरकार के इशारे पर प्रशासन द्वारा नए-नए तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे हैं। अंबाला डीसी की ओर से भी एक ऐसा ही तुगलकी फरमान जारी किया गया है, जो निंदनीय है। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने गुरुवार काे जारी एक बयान में कहा कि किसान लंबे समय से एमएसपी गारंटी का कानून बनाने की मांग पर शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं।

शंभू व खनौरी बॉर्डर पर किसान धरना दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनकी हर मांग को अनसुना कर रखा है। इसलिए किसान केंद्र सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए 6 दिसंबर को दिल्ली जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी नागरिकों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात कहने का अधिकार है। इस अधिकार को कोई नहीं छीन सकता, मगर भाजपा सरकार लोगों के इस अधिकार को भी छीनना चाहती है।

उन्होंने कहा कि किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए अंबाला के डीसी ने एक ऐसा ही आदेश पारित किया है जो न सिर्फ लोकतंत्र के खिलाफ है बल्कि सरकार की तानाशाही को दर्शाता है। अंबाला के डिप्टी कमिश्नर ऑफिस की तरफ से जारी किए गए आदेश में लिखा है कि किसान दिल्ली पुलिस से परमिशन मिलने के बाद ही आगामी कार्यवाही करें, नहीं तो इस कार्यक्रम को स्थगित करें। अंबाला में धारा 163 लागू कर दी गई है।

सैलजा ने कहा कि 5 या 5 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है। इसके साथ दिल्ली में आंदोलन के लिए दिल्ली पुलिस की परमिशन जरूरी है। हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने धारा 163 (पहले धारा 144) के नोटिस चिपकाए हैं। आदेश में कहा गया है कि 6 दिसंबर से जत्थों के रूप में शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच का आह्वान किया है और ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों से एकत्रित होने की अपील की है। ऐसे में आपको दिल्ली में प्रदर्शन-आंदोलन करने के लिए दिल्ली पुलिस की अनुमति लेना जरूरी है।

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा

   

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