दूसरी सिंचाई पर नैनो यूरिया और डीएपी का उपयोग करें, उत्पादन व गुणवत्ता में सुधार
- Admin Admin
- Dec 09, 2024
किसानों को कम लागत में मिलेगा अधिक लाभ, फसल होगी कीट और रोग मुक्त
मीरजापुर, 9 दिसंबर (हि.स.)। गेहूं की दूसरी सिंचाई के समय नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का मिश्रण बनाकर फसल पर छिड़काव करने से पौधों को नत्रजन और फास्फोरस की पर्याप्त पूर्ति होगी। इस विधि से न केवल किसानों का खर्च कम होगा, बल्कि फसलों में लगने वाले कीट और रोगों का प्रकोप भी कम हो जाएगा।
इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक आशीष कुमार ने बताया कि लगभग 80 प्रतिशत गेहूं की बुवाई हो चुकी है। अब किसानों को दूसरी सिंचाई के समय यूरिया की मात्रा कम करके नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का पांच-पांच एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इससे पौधों को कम लागत में अधिक पोषण मिलेगा और उत्पादन व गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
नैनो तकनीक क्यों है बेहतर?
नैनो यूरिया और नैनो डीएपी पारंपरिक दानेदार खाद की तुलना में अधिक प्रभावी हैं। नैनो तकनीक से बने ये उत्पाद न केवल किसानों के लिए किफायती हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं। दानेदार डीएपी पर सरकार को भारी सब्सिडी देनी पड़ती है, जबकि नैनो यूरिया कम कीमत पर उपलब्ध है।
उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार
नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का सही उपयोग किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, जिससे उनकी लागत घटेगी और फसल का उत्पादन व गुणवत्ता बेहतर होगी।
फसल में होंगे ये फायदे
बीज अंकुरण में वृद्धि।
जड़ क्षेत्र का तेज विकास।
पौधे को मृदा से पर्याप्त पोषक तत्व की उपलब्धता।
कीट और रोग के प्रकोप में कमी।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा