नई दिल्ली, 09 दिसंबर (हि.स.)। देश में एथनिक वियर उद्योग का एक संपन्न बाजार है, जो बदलते फैशन ट्रेंड, बढ़ती डिस्पोजेबल इनकम और पारंपरिक पोशाक के लिए बढ़ती प्राथमिकता जैसे कारकों से प्रेरित है। एथनिक वियर उद्योग सभी उम्र के महिलाओं के लिए पारंपरिक कपड़ों के विकल्पों की विविध रेंज प्रदान करता है।
भारतीय संस्कृति, परंपरा और शैली के अनुरूप महिलाओं के लिए एथनिक वेयर का नया पता है पूर्वी दिल्ली स्थित पेस्टल इंडिया, जो डिजाइनर कपड़ों के लिए एक फैशन स्टूडियो एवं बुटीक है। यह महिलाओं के परिधान को बढ़ावा दे रहा है, जहां महिलाओं की भीड़ आरामदायक कपड़े के लिए उमड़ परती है।
पेस्टल इंडिया की संस्थपिका गौरी रानी 'अलका' ने बताया कि अब महिलायें फैशन पुलिस के अधीन नहीं हो सकती है। उन्हें अब यह नहीं बताया जा सकता कि उन्हें क्या पहनना चाहिए और क्या नहीं पहनना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज की महिलाएं घुघंट नहीं करती हैं। घुघंट गुज़रे जमाना की बात है। वे अपनी सहजता और आराम के अनुसार अपनी शैली और कपड़े चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।
आत्मविश्वासी डिजाइनर अलका ने आगे बताया कि पारंपरिक साड़ियों, सलवार कमीज, कुर्तियां, शेरवानी, अनारकली सूट और लहंगा चोली में भी एक स्टाइल हो सकता है। किसी भी महिला को डिजाइनर कपड़े पहनने में गर्व और आत्मविश्वास की गहरी भावना के साथ आरामदायक महसूस करते हुए देखी जा सकती है। गाजियाबाद की नियमित ग्राहक हर्षिता बख्शी टिप्पनी करते हुए कहती है कि अलका की परफेक्शन और शाररिक सुखदायी डिजाइनिंग से कोई भी महिला भारतीय एथनिक कपड़े में शालिन, आकर्षक एवं फैशनेबल दिख सकती है।
पेस्टल इंडिया को एंडोर्स करते हुए प्रसिद्ध लेखक डॉ. बीरबल झा कहते हैं कि आप क्या और कैसे कपड़े पहनते हैं यह आपके बारे में बहुत कुछ बताता है। आपके ड्रेस एवं एड्रेस से आपकी पहचान बनती है। डिज़ाइनर कपड़े चुनें और देखें कि आप आत्मविश्वास के साथ कितने आकर्षक और स्टाइलिश दिखते व दिखती हैं।
उल्लेखनीय है कि पेस्टल इंडिया पौराणिकता और आधुनिकता के मिश्रण के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और एथनिक वियर को बढ़ावा देता है। पेस्टल इंडिया में सिले गए कपड़े महिलाओं में लालित्य, गरिमा और शालीनता की भावना लाते हैं, साथ ही उन्हें उनके पहनावे की प्रशंसा की जाती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर