चक्रीय अर्थव्यवस्था से औद्योगिक नवाचार, आर्थिक प्रतिस्पर्धा और रोजगार सृजन को भी मिलता है बढ़ावाः भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली, 18 फ़रवरी (हि.स.)। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को भारतीय पुनर्चक्रण एवं पर्यावरण उद्योग संघ (आरईआईएआई) द्वारा 'अपशिष्ट पुनर्चक्रण एवं जलवायु परिवर्तन 2025' पर आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में सालाना लगभग 62 मिलियन टन कचरा पैदा होता है, जिसमें प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक और खतरनाक कचरे की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। लेना, बनाना और निपटाना का पारंपरिक रैखिक आर्थिक मॉडल अब संधारणीय नहीं है। लैंडफिल पर बढ़ते दबाव, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और अनियंत्रित कचरा निपटान से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। चक्रीय अर्थव्यवस्था केवल एक विकल्प नहीं है, यह अनिवार्य है।

यादव ने कहा कि एक अच्छी तरह से काम करने वाली चक्रीय अर्थव्यवस्था न केवल प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करती है, बल्कि ये औद्योगिक नवाचार, आर्थिक प्रतिस्पर्धा और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत कचरा प्रबंधन से हटकर कचरे से संपदा पहल के माध्यम से पुनर्चक्रण की आर्थिक क्षमता का दोहन कर रहा है। उन्होंने कहा, उत्पाद डिजाइन से लेकर एंड ऑफ लाइफ प्रबंधन तक, हर चरण पर कम करने, पुनः उपयोग करने और पुनर्चक्रण सहित भविष्य में चक्रीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख भूमिका है। कचरे को बोझ नहीं, बल्कि संसाधन के रूप में देखा जाना चाहिए। आर्थिक आर्थिक प्रतिस्कंदन, पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक सुरक्षा प्राप्त करने के लिए स्थायी प्रथाओं को अपनाना महत्वपूर्ण है।

मंत्री ने कहा कि वर्ष 2050 तक भारत की चक्रीय अर्थव्यवस्था का बाजार मूल्य 2 ट्रिलियन डॉलर होने और 10 मिलियन नौकरियां सृजित करने की उम्मीद है। ये स्टार्ट-अप और नए पुनर्चक्रित उत्पाद डेवलपर्स के लिए एक बड़ा मौका है। इस विकास को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण है, प्रकृति की कुशल रिसाइकिलिंग प्रणालियों से प्रेरणा लेना,प्रेरणा लेना अहम है, क्योंकि कोई भी प्रकृति की तरह रिसाइकिल नहीं कर सकता।

यादव ने देश में रीसाइक्लिंग उद्योग से प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता कम करने के साथ-साथ आर्थिक विकास के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों के आयात में कटौती करने के लिए नई नवीन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और उन्हें अपनाने का आग्रह किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

   

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