साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता अब विलासिता नहीं, बल्कि आवश्यकता है : सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री

मुंबई, 16 अक्टूबर (हि.स.)। महाराष्ट्र के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री एडवोकेट आशीष शेलार ने गुरुवार को मुंबई में कहा कि साइबर सुरक्षा और डिजिटल साक्षरता के बारे में जागरूक होना अब केवल विलासिता नहीं, बल्कि समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार, प्रशासन और आम नागरिकों को इस बारे में अपडेट रहना आवश्यक है।

राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और सूचना प्रौद्योगिकी निदेशालय ने संयुक्त रूप से मुंबई में आज एक साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री शेलार ने कहा कि डिजिटल क्रांति ने हमारे दैनिक जीवन और प्रशासनिक कार्यों में आमूल-चूल परिवर्तन लाए हैं। आज मंत्रालय में कार्यरत प्रत्येक अधिकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम कर रहा है। इसलिए, साइबर सुरक्षा और हमारी जिम्मेदारियों के बीच सीधा संबंध है। कानून अज्ञानता के कारण की गई गलतियों को माफ नहीं करता। इसलिए, साइबर सुरक्षा के बारे में अपडेट रहना आवश्यक है।

शेलार ने कहा कि भारत आज डिजिटल लेनदेन में दुनिया में अग्रणी है। हर कोई डिजिटल भुगतान स्वीकार कर रहा है। भारत आज सबसे अधिक और सबसे सुरक्षित डिजिटल लेनदेन वाला देश बन गया है। लेकिन इस प्रगति के साथ साइबर अपराधों की जटिलता और पैमाना भी बढ़ गया है। साइबर हमलों से बचने के लिए न केवल तकनीकी कौशल बल्कि सही मानसिकता विकसित करना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने 2016 से साइबर सुरक्षा के लिए एक सक्षम बुनियादी ढांचा तैयार किया है। राज्य में 24 घंटे चलने वाला 'कमांड एंड कंट्रोल सेंटर', 'साइबर हेल्पलाइन' और 'मोबाइल ऐप' उपलब्ध हैं। साथ ही एक 'प्रौद्योगिकी सहायक जांच इकाई' और एक 'एआई आधारित जांच' प्रणाली भी कार्यरत है। उन्होंने डीपफेक तकनीक से उत्पन्न गंभीर खतरों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। डीपफेक न केवल पेशेवर, बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन को भी तबाह कर सकता है। इसलिए, उन्होंने कहा कि इसकी पहचान और रोकथाम के लिए सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक यशस्वी यादव ने कहा कि डिजिटल युग में, जहाँ सभी सेवाएँ एक क्लिक पर उपलब्ध हैं, वहीं नागरिकों को साइबर सहायता के लिए एक हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराया गया है ताकि पुलिस सेवाएँ भी उतनी ही आसानी से उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि इस हेल्पलाइन पर, साइबर क्षेत्र के उत्कृष्ट विशेषज्ञ और अधिकारी अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर की मदद से तत्काल सहायता प्रदान करते हैं। साइबर विभाग की दक्षता बढ़ाने के लिए, अब 1930 और 1945 दोनों नंबर चालू हैं। हेल्पलाइन नंबर 1930 साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की सूचना देने के लिए है, जबकि हेल्पलाइन नंबर 1945 वित्तीय धोखाधड़ी के अलावा एफआईआर दर्ज करने और कानूनी कार्यवाही के लिए है। इस नंबर पर आने वाली कॉल के बाद नागरिकों को संतोषजनक सेवाएँ मिल रही हैं और उन पर प्रभावी जाँच और कार्रवाई हो रही है।

इस कार्यक्रम में महाआईटी के प्रबंध निदेशक संजय काटकर, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (साइबर) यशस्वी यादव, एनआईसी दिल्ली के उप महानिदेशक डॉ. राजेश कुमार पाठक, बार्क के वरिष्ठ वैज्ञानिक जीजी जोसेफ और एनआईसी महाराष्ट्र की सपना कपूर के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के एनआईसी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव

   

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