प्रगतिशील सोच ने बनाया सफ़ल किसान,40 लाख सलाना है कमाई

खेत मे शिमला मिर्चमुकेश अपने खेत में

रायबरेली,05जनवरी(हि. स.)। कहा जाता है कि खेती अब घाटे का सौदा हो गया है,लेकिन कुछ लोग ऐसे ही हैं जिन्होंने अपनी प्रगतिशील सोच से इसे फायदे का सौदा बना दिया है।खेती अब इनकी मजबूरी नहीं बल्कि बेहतरीन व्यवसाय हो गया है। रायबरेली के लालगंज के प्रगतिशील किसान मुकेश त्रिवेदी की कहानी कुछ ऐसी ही है,जिन्होंने अपने काम से अन्य किसानों के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

रायबरेली में लालगंज क्षेत्र के गांव के रहनेवाले किसान मुकेश की खेती से सालाना 40 लाख रुपये कमा रहे हैं।उनकी इस बेहतरीन सफलता के पीछे मुख्य कारक खेती में नए-नए प्रयोग करना है।जिसे अपनाकर वह इसे बड़ा व्यवसाय बना पाए हैं। एलएलबी पास मुकेश ने बताया कि उन्होंने पहले 6 एकड़ जमीन पर आलू, शिमला मिर्च, कद्दू, पपीता, टमाटर की खेती शुरू की थी,जो कि आज 40 एकड़ में हो रही है।

मुकेश के अनुसार शिमला मिर्च समेत कई सब्जियों की खेती में जहां पहले साल से ही कम लागत में मुनाफा अधिक होने लगा। वहीं मेरे पास पहले खुद की 6 एकड़ जमीन थी, आज 40 एकड़ जमीन की खेती कर रहे है।20 एकड़ जमीन लीज पर लेकर आलू की बड़े पैमाने की पैदावार कर रहे हैं। एक बीघे में 100 क्विंटल आलू का उत्पादन हो रहा है।उनका खेती में 3 से 4 हजार क्विंटल आलू की पैदावार प्रति वर्ष हो रही है।

लालगंज के प्रगतिशील किसान मुकेश त्रिवेदी ने बताया कि वह खेतों में तैयार हरी सब्जियों को रायबरेली के मंडी में भेजते है, जहां फौरन बिक जाती है। इससे उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है।मुकेश खेती से आज करीब 40 लाख की सलाना रुपए की कमाई कर रहे है, जो अन्य फसलों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है।

मुकेश का कहना है कि उन्होंने खेती में बड़े स्तर पर प्रयोग किये और पारंपरिक खेती की जगह व्यवासायिक खेती को चुना।इसके लिए उन्होंने आधुनिक खेती में हो रहे बदलाव को जान-समझा। बड़े स्तर पर आलू और शिमला मिर्च की खेती पर उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च की खेती करना असान नहीं होता, क्योंकि इसकी ज्यादातर खेती पहाड़ी इलाके में होती है, लेकिन वो इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे है।क्योंकि शिमला मिर्च 9 महीने की फसल होती है। मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल वह फसलों की खेती में कर रहे है।मुकेश का कहना है कि आलू और शिमला मिर्च की खेती में बहुत लाभ है और इसकी ख़पत व्यापक स्तर पर है।यही खेती ही उनकी आय का मुख्य जरिया है।

खेती में सिंचाई सबसे अहम कारक होता है,इस बाबत मुकेश का कहना है कि ड्रिप सिंचाई का उपयोग वह सब्जियों में जैसे शिमला मिर्च, टमाटर और कद्दू में करते हैं।मुकेश ने इसके अलावा नींबू के 150 पेड़ लगा रखे है, इससे भी आमदनी अच्छी हो रही है। गर्मियों में नींबू की डिमांड अधिक बढ़ जाती है।उन्होंने युवा किसानों से कहा कि खेती में कभी हताश में मत हो, अगर किसी फसल में घाटा हो जाए, तो दूसरी फसलों पर ध्यान देना चाहिए।मुकेश का कहना है कि खेती कभी घाटे का सौदा नहीं होता,इसमें सफलता मिलना निश्चित है।

हिन्दुस्थान समाचार / रजनीश पांडे

   

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