गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस हम सभी को प्रेरणा देता है : योगी आदित्यनाथ
- Admin Admin
- Nov 25, 2025
लखनऊ, 25 नवंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को यहां डी0ए0वी0 डिग्री कॉलेज के प्रांगण में धन-धन श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी महाराज के 350वें शहीदी दिवस के अवसर पर आयोजित ‘विशेष गुरुमति समागम’ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के समक्ष मत्था टेका।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम 9वें सिख गुरु तेग बहादुर जी महाराज, भाई मतिदास, भाई सती दास एवं भाई दयाल की शहादत को स्मरण करते हुए उनकी स्मृतियों को नमन कर रहे हैं। यह कार्यक्रम उन महापुरुषों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक अवसर है।
आज का दिन हम सभी को प्रेरणा देता है। गुरु तेग बहादुर जी के समय औरंगजेब जैसा क्रूर बादशाह मनमानी कर रहा था। देश में धर्मान्तरण की एक मुहिम चला रहा था। तिलक को मिटाने एवं जनेऊ को समाप्त करने के उद्देश्य से उसने देशभर में अत्याचार किये। कश्मीर में उसका अत्याचार अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच गया था, वहां औरंगजेब का सिपहसालार शेर अफगान खान अत्याचार कर रहा था। पीड़ित कश्मीरी पंडित कृपाराम को कहीं शरण न मिलने पर उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी के समक्ष याचना की।
गुरु गोबिंद सिंह जी उस समय गुरु तेग बहादुर जी महाराज के साथ उपस्थित थे। उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी महाराज तथा पण्डित कृपाराम की बातों को सुनकर धन-धन श्री गुरु से कहा कि आप कह रहे हैं कि किसी बड़े आदमी को अपना बलिदान देना पड़ेगा, आप से बड़ा कौन है। गुरु तेग बहादुर जी महाराज ने उस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई। उन्हें कैद कर लिया गया। भाई मतिदास को यातना देने के बाद आरी से चीरा गया। भाई सती दास को रुई में लपेटकर जला दिया गया। भाई दयाल दास को उबलते हुए पानी में डाल कर शहीद कर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी महाराज तमाम यातनाओं के बावजूद अपने धर्म व संकल्प से नहीं डिगे। जब हम इतिहास के उन क्रूर क्षणों का स्मरण करते हैं, तब लगता है उस समय गुरु परम्परा ने न केवल यातनाएं सही, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर यातना एवं क्रूरता का जवाब देने के लिए स्वयं को तैयार भी किया। गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने मात्र 09 वर्ष की उम्र में अपने गुरु एवं पिता को खोया। उनके चार साहिबजादे सनातन की रक्षा करने के लिए बलिदान हो गए। गुरु गोबिंद सिंह महाराज शहीद पिता के पुत्र और शहीद पुत्रों के पिता थे। दुनिया में ऐसे उदाहरण बहुत कम देखने को मिलते हैं।
योगी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि लखनऊ को गुरु तेग बहादुर जी महाराज का सान्निध्य प्राप्त हुआ था। लखनऊ के याहियागंज गुरुद्वारा में गुरु तेग बहादुर जी महाराज का आगमन हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह महाराज उस समय शिशु अवस्था में थे। उनकी स्मृति आज भी उसी रूप में याहियागंज गुरुद्वारा में देखने को मिलती है। यहां का तेज एवं अध्यात्म सिख परम्परा के गौरवशाली क्षणों में से एक है। उत्तर प्रदेश में स्थित इन स्मृतियों को मजबूती प्रदान करने में प्रदेश एवं भारत सरकार योगदान देने के लिए कृत संकल्पित है। इस अवसर पर कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह ओलख, गुरुद्वारा प्रबन्ध समिति के पदाधिकारीगण सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप शुक्ला



