मेडिकल छात्रों के समर्थन में आयी एनएसयूआई

सरकार ने निजीकरण का फैसला नहीं बदला तो सड़क पर होगा विरोध प्रदर्शन: वर्मा

हरिद्वार, 9 जनवरी (हि.स.)। मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड से निजी संस्था को सौंपने का एनएसयूआई ने विरोध जताया। एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष याज्ञिक वर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा लिया गया निर्णय जनहित में नहीं है। सरकारी मेडिकल कॉलेज का निजीकरण किया जा रहा है। इससे भविष्य के चिकित्सकों और सरकारी नौकरी का सपना देखने वाले प्रभावित होंगे। एनएसयूआई मेडिकल छात्रों के साथ है और उनके आंदोलन, मांगों का समर्थन करती है।

प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान याज्ञिक वर्मा ने आरोप लगाया कि मेडिकल छात्रों को प्रशासन परेशान कर रहा है। आंदोलन करने वाले छात्र-छात्राओं को कॉलेज से हटाने की धमकियां दी जा रही है। बीजेपी सरकार ने शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया। माफियाओं के हाथ में शिक्षा को बेचा जा रहा है। अभी जो हॉस्टल की फीस जो 6000 रुपए सालाना है, उसे बढ़ाया जाएगा। इसी तरह से मेस की फीस भी 44000 रुपए सालाना है, वह भी बढ़ा दी जाएगी। यह एक तरह से छात्रों का शोषण है।

उन्हाेंने कहा कि यदि निर्णय नहीं बदला जाता है तो एनएसयूआई सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेगी। मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि निवर्तमान मेयर ने अपने कार्यकाल में सरकार को मुफ्त में दी थी लेकिन सरकार ने उसे बेच दिया।

शहर महासचिव शाहिद अहमद ने कहा कि जो शिक्षा कम शुल्क में मिलती थी अब निजीकरण से महंगी हो जाएगी। माता पिता पर भी अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा हैं। महानगर उपाध्यक्ष दीपांशु बालियान ने कहा कि सरकार शिक्षा को मुनाफे का खेल बना रही है। इससे निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। एनएसयूआई इसका पुरजोर विरोध करती है।

इस अवसर पर आदि कश्यप, यश कश्यप, तुषार चौधरी आदि उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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