एनसीआर व सैन्य बलों में भागीदारी को देखकर वित्त आयाेग के मानदंड तय हाें: मुख्यमंत्री
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- Apr 28, 2025

16वें वित्त आयोग के सामने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उठाए कई मुद्दे
चंडीगढ़, 28 अप्रैल (हि.स.)। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 16वें वित्त आयोग को अपने मानदंड बदलने का सुझाव दिया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) तथा सैन्य बलों में राज्यों की भागीदारी के हिसाब से मानदंड तय होने चाहिए।
मुख्यमंत्री सैनी सोमवार को चंडीगढ़ में आयोजित 16वें वित्त आयोग की बैठक में प्रदेश का पक्ष रख रहे थे। यहां बता दें कि आधे से अधिक हरियाणा एनसीआर एरिया में आता है और सेनाओं में हर छठा जवान हरियाणा से है। मुख्यमंत्री ने एनसीआर के रणनीतिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि नई दिल्ली देश की राजधानी ही नहीं, बल्कि 142 करोड़ भारतीयों के दिलों की धड़कन है। वर्ष 2047 के विकसित भारत के संकल्प पर हम कितना आगे बढ़ रहे हैं, दुनियाभर के देश इसका अनुमान एनसीआर में आने वाले वर्षों में दिखने वाले विकास से लगाएंगे। हर राज्य के क्षेत्रफल वाले मापदंड से आगे बढ़ते हुए किस राज्य का कितने प्रतिशत क्षेत्रफल एनसीआर में आता है, इसका एक मापदंड तय किया जाए।
मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि वित्त आयोग किसी राज्य की जनसंख्या की देश के सैन्यबलों में कितने प्रतिशत भागीदारी है, उसके आधार पर एक नया मापदंड बनाकर राज्य सरकारों को केन्द्रीय करों का कुछ हिस्सा देने की सिफारिश अवश्य करे। आज की बैठक में कर हस्तांतरण, संसाधन आवंटन और राज्य-विशिष्ट अनुदान जैसे वित्तीय मामलों पर विस्तृत चर्चा की गई।
बैठक में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अध्यक्ष डाॅ अरविंद पनगढ़िया ने हरियाणा की प्रशंसा करते हुए कहा कि छोटा राज्य होने के बावजूद हरियाणा प्रमुख राज्यों में प्रति व्यक्ति आय के मामले में दूसरे स्थान पर है। पनगढ़िया ने कहा कि यह वाकई सराहनीय है कि भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि से भले ही हरियाणा छोटा है, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था में इसका योगदान बड़ा और महत्वपूर्ण है।
16वें वित्त आयोग की बैठक में प्रदेश के स्थानीय निकायों–नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के प्रतिनिधियों ने भी अपनी बात रखी।
सोनीपत निगम के मेयर राजीव जैन ने कहा कि एनसीआर की ओर जनता का पलायन बढ़ने के कारण आधार भूत ढांचे पर पड़ने वाले दबाव तथा उद्योग, ट्रैफिक बढ़ने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उपायों पर खर्चे के लिए विशेष आर्थिक पैकेज प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि वित्त आयोग की ग्रांट राज्य सरकार के माध्यम से भेजने की बजाये सीधे स्थानीय निकाय की इकाइयों को भेजे। यह ग्रांट भी तीन माह में एक बार भेजने की बजाय एक बार में ही दी जाए। राजीव जैन ने बंधे अनुदान को खुले अनुदान में बदलने, मुख़्यमंत्री घोषणा अनुसार हर शहर में एक सड़क को मॉडर्न सड़क बनाने तथा प्राकृतिक आपदा की दशा में विशेष अनुबंध देने की मांग भी की।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव शर्मा