धमतरी, 4 नवंबर (हि.स.)। सूर्य देव को धन्यवाद देने और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मनाया जाना वाला छठ पर्व आज से शुरू होने जा रहा है। यह उत्तर भारतीय परिवारों का सबसे बड़ा त्योहार है। छठ महापर्व की शुरूआत पांच नवंबर मंगलवार को नहाय खाय से शुरुआत होगी। इसके लिए सभी व्रती परिवार तैयारियों में जुट गए हैं।
शहर में दो स्थानों पर इसकी सामूहिक वृहद कार्यक्रम आयोजित की जाती है, जिसमें से आमातालाब व रूद्रेश्वर घाट प्रमुख है। नगर निगम द्वारा पूर्व में इसकी सफाई करायी जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। मजबूरन सभी परिवार साफ-सफाई करने में जुट हुए हैं। व्रती परिवार अशोक चौधरी, प्रमिला चौधरी, राजू गुप्ता, रामकुमार अकेला, सुनीता यादव, प्रकाश झा, अभिषेक चौधरी, विवेक चौधरी, कुंदन यादव, प्रभात यादव आदि ने बताया कि छठ महापर्व की उपासना करने वाला जिले में निवासरत परिवार जो आमातालाब और रूद्रेश्वर घाट में सामूहिक रूप से पूजा अर्चना करते हैं। व्रतधारी एवं उनके परिवार को चार दिन तक कठिन तपस्या करना पड़ता है। यह व्रत सूर्य देवता को समर्पित है। व्रतधारी अपने परिवार की दीर्घायु एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। विनोद चौधरी, अनामिका चौधरी, ओम चौधरी ने बताया कि प्रशासन को सूचित करने के बाद भी यहां साफ-सफाई नहीं की गई। अब ऐसी स्थिति में व्रती परिवार रविवार, सोमवार को सामूहिक रूप से साफ-सफाई करनी पड़ रही है। सुरक्षा के पुख्या इंतजाम नहीं होने के कारण यहां पर शरारती तत्वों का डेरा लगा रहता है। दिनढलते ही यहां पर शराबी शराब पीने पहुंच जाते हैं। टूटे बोतल, झिल्ली, प्लास्टिक पूजन सामग्री फैला रहता है।
अर्ध्य देने के बाद खोला जाएगा व्रत
समाजजनों ने बताया कि छठ पूजा का पहला दिन मंगलवार को नहाय खाय से शुरू होगी। इस दिन व्रती महिलाएं सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर नए वस्त्र धारण कर सूर्यदेव को जल अर्पित करती है। इसके बाद सात्विक आहार ग्रहण कर व्रत की शुरूआत करती हैं। दूसरा दिन खरना होता है। इस दिन व्रती महिलाएं पूरा दिन व्रत रखती हैं। रात में खीर प्रसाद ग्रहण करती हैं। खरना के बाद व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ करती हैं। व्रत के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसमें सूर्य देवता की विधि विधान से पूजा-अर्चना होगी। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इस दिन व्रती महिलाएं सुबह के समय तालाब, नदी, सरोवर के पानी में कमर तक खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देंगी। अर्ध्य देने के बाद व्रत खोलेंगी।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा