सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी पार्क में तीन बाघ शावकों की मौत, जांच शुरू
- Admin Admin
- Dec 09, 2024
कोलकाता, 09 दिसंबर (हि. स.)। सिलीगुड़ी स्थित बंगाल सफारी पार्क में तीन बाघ शावकों की मौत के मामले में जांच शुरू कर दी गई है। यह घटना तब हुई जब उनकी मां, बाघिन ‘रिका’, ने उन्हें बाड़े के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में ले जाने के दौरान गलती से उनकी गर्दन पर गहरा दांत काट लिया। अधिकारियों ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी।
पार्क में पिछले सप्ताह जन्मे इन शावकों की मौत गुरुवार को तब हुई जब रिका उन्हें रात के शेल्टर में ले जाने की कोशिश कर रही थी। इस दौरान बाघिन ने उनकी गर्दन इतनी जोर से पकड़ ली कि उनके श्वासनली में गहरा घाव हो गया।
पश्चिम बंगाल जू अथॉरिटी के वरिष्ठ सदस्य सौरव चौधरी ने बताया कि रिका ने अनजाने में यह गलती की। उन्होंने कहा कि हमने घटना की परिस्थितियों की जांच के लिए एक टीम बनाई है। जांच दल में वरिष्ठ वन अधिकारी, जू विशेषज्ञ और एक पशु चिकित्सक शामिल हैं।
पार्क के निदेशक विजय कुमार ने बताया कि घटना के बाद रिका के व्यवहार और मूड पर नजर रखी जा रही है। हालांकि उसे सार्वजनिक प्रदर्शन से नहीं हटाया गया है और वह सामान्य गतिविधियां कर रही है।
चौधरी ने कहा कि रिका में अन्य बाघिनों के मुकाबले शावकों को मुंह से पकड़कर ले जाने में कुछ खामियां देखी गई हैं। उन्होंने कहा कि शावकों को गर्दन से पकड़ते समय उसने अधिक जोर लगाया जिससे उनकी श्वासनली में गहरा घाव हुआ।
गुरुवार रात दो शावकों की तत्काल मौत हो गई, जबकि तीसरे ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद बाघिन के व्यवहार में मातम के लक्षण दिखे, लेकिन पार्क के कर्मचारी उसे सामान्य गतिविधियों में व्यस्त रखने की कोशिश कर रहे हैं।
पिछले साल सितंबर 2023 में सफेद बाघिन द्वारा अपने शावकों को जोर से धक्का देने के कारण दो शावकों की मौत हो गई थी। वहीं, हाल ही में पार्क में एक हाथी लक्ष्मी की मौत वृद्धावस्था के कारण हो गई थी। घटनाओं को देखते हुए पार्क प्रबंधन ने आठ दिसंबर तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें जूकीपरों को पशु कल्याण और उनके लिए अनुकूल माहौल बनाए रखने का प्रशिक्षण दिया गया।
अप्रैल 2024 में, बाघिन शीला ने पांच शावकों को जन्म दिया था, जो स्वस्थ हैं और उनमें से कुछ को देश के अन्य चिड़ियाघरों में भेजा गया है। वर्तमान में, बंगाल सफारी पार्क में नौ बाघ मौजूद हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर