राजस्थान हाईकोर्ट की विभागीय दण्डादेश पर रोक : वन विभाग बाड़मेर को नोटिस
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- Jan 15, 2025
जोधपुर, 15 जनवरी (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने सहायक वनपाल बाड़मेर के पद पर कार्यरत मांगे खान के विरूद्ध नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्त के विरूद्ध पारित दण्डादेश को प्रथम दृष्टया अनुचित मानते हुए उस पर रोक लगाई है।
मांगे खान वर्तमान में सहायक वनपाल के पद पर वन विभाग बाड़मेर में कार्यरत है। गत 18 जनवरी 2018 को अनुशासनिक अधिकारी एवं उप वन संरक्षक बाड़मेर द्वारा उसे राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रक एवं अपील) नियम 1958 के नियम 16 के तहत फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर पदोन्नति प्राप्त करने एवं वित्तीय लाभ प्राप्त करने के संदर्भ में एक आरोप पत्र जारी किया गया। प्रार्थी द्वारा उसका जबाब प्रस्तुत करने के पश्चात् छह दिसंबर 2024 को उसे अनुशासनिक अधिकारी द्वारा फर्जी दस्तावेज के आधार पर पदोन्नति से पदावनत करने, पदोन्नति के कारण लिए गए वितीय लाभ की पुन: वसूली करने व प्रार्थी के विरूद्ध इसी संदर्भ में एक प्रथम सूचना रिपोर्ट भी भारतीय न्याय संहिता 2023 की धाराओं में दर्ज करवाने का आदेश पारित किया।
अनुशासनिक अधिकारी एवं उप वन सरंक्षक बाड़मेर द्वारा जारी इस दण्डात्मक आदेश को प्रार्थी द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से चुनौती दी। प्रार्थी के अधिवक्ता का उच्च न्यायालय के समक्ष तर्क था कि दण्डादेश जारी करने से पूर्व उसे जांच रिपोर्ट की कॉपी प्रदान नहीं की गई व दण्डादेश जारी करने से पूर्व उसे व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर प्रदान करने हेतु कोई नोटिस नहीं दिया गया।
विभाग द्वारा दण्डादेश जारी करते समय राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 में विद्यमान प्रावधानों का घोर उल्लंघन किया गया। साथ ही जो प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने का आदेश दिया गया है वह तो नियम 14 के तहत दिए गए दण्ड के प्रावधानों से बाहर जाकर पारित किया गया है जो अनुचित व विधि विरूद्ध है।
कोर्ट ने नैसर्गिंक न्याय के सिद्धान्तों के विरूद्ध यानि दण्डादेश जारी करने से पूर्व प्रार्थी को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर नहीं देने एवं जांच रिपोर्ट की कॉपी प्रार्थी को नहीं दिए जाने को राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियत्रंण एवं अपील) नियम 1958 के विरूद्ध प्रथम दृष्टया अनुचित मानते हुए वन विभाग को नोटिस जारी कर जबाब तलब किया व प्रार्थी के विरूद्ध पारित दण्डादेश पर अन्तरिम रोक लगाई।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश