शरद पूर्णिमा मनाई, ठाकुरजी को लगाया खीर का भोग

जोधपुर, 17 अक्टूबर (हि.स.)। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा बुधवार को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाई गई। इस दौरान शहर के सभी प्रमुख कृष्ण मंदिरों में ठाकुरजी का विशेष शरद शृंगार कर खीर का भोग लगाया गया। साथ ही घरों व अन्य स्थानों पर भी खीर बनाकर चांद की किरणों के समक्ष रखा गया। इस खीर को आज सुबह भोग लगाकर ग्रहण किया गया। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन षोडश कलाओं से परिपूर्ण चन्द्रमा से अमृत किरण वर्षा होती है। चंद्रमा के औषधीय गुणों से युक्त किरणें पडऩे से खीर भी अमृत के समान होती है जिसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना जाता है।

उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा स्नान व व्रत गुरुवार को किया गया। इससे पहले पूर्णिमा तिथि बुधवार रात 8.45 बजे शुरू हो गई थी और इसका समापन आज शाम को हुआ। शरद पूर्णिमा के उपलक्ष में प्रमुख मन्दिरों में विशेष आयोजन हुए। कटला बाजार स्थित कुंजबिहारीजी मन्दिर के पुजारी भंवरदास निरंजनी ने बताया कि शरद पूर्णिमा के उपलक्ष में ठाकुरजी को श्वेत वस्त्र धारण कराए गए, श्वेत पुष्पों से शृंगार किया व खीर-खाजा का भोग लगाया गया। जूनी धान मण्डी स्थित गंगश्यामजी मन्दिर पुजारी मुरलीमनोहर शर्मा ने बताया कि ठाकुरजी का श्रृंगार कर खीर-खाजा का भोग लगाया गया व झांकी आरती रात को हुई।

रातानाडा स्थित श्री कृष्ण मंदिर पुजारी हरिभाई गोस्वामी ने बताया कि ठाकुरजी व राधारानी का विशेष शारदीय श्रृंगार किया। फिर 108 किलो दूध की खीर बनाकर चन्द्रमा की रोशनी में रखी गई। आज सुबह ठाकुरजी को भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया गया। यश सेवा भारती संस्थान और अग्रवाल पंचायत के संयुक्त तत्वावधान में शरद पूर्णिमा के अवसर पर अग्रवाल बगेची अग्रसेन वाटिका सरदारपुरा में महारास व खीर महोत्सव आयोजित किया गया।

आज सुबह पांच बजे खीर का ग गंगश्यामजी मंदिर में भो लगाकर वितरण किया गया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के आरोग्य प्रकल्प ने चौपासनी हाउसिंग बोर्ड सेक्टर 16 स्थित दशहरा मैदान में आयोजित शरद पूर्णिमा महोत्सव के माध्यम से सैकड़ों लोगों को स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ प्रदान किया। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना और शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर लोगों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना था।

आयुर्वेदिक औषधियों से तैयार की गई विशेष खीर का वितरण इस महोत्सव का प्रमुख आकर्षण रहा। हजारों लोगों ने औषधीय खीर का सेवन किया और इसके लाभों का अनुभव किया। आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने मुफ्त स्वास्थ्य शिविर लगाकर लोगों को परामर्श दिया।

कार्तिक मास कल से

कार्तिक मास 18 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही कार्तिक स्नान की शुरुआत होगी। कार्तिक मास 15 नवबर तक रहेगा। इस महीने में धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी जैसे बड़े तीज-त्योहार आएंगे। इस महीने में शरद ऋतु शुरू होती है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं अनीष व्यास ने बताया कि इस महीने से शीत ऋतु शुरू हो रही है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / सतीश

   

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