बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मी मंगलवार को पूरे दिन बांधेंगे काला फीता

वाराणसी,09 दिसम्बर (हि.स.)। बिजली के निजीकरण के विरोध में मंगलवार को यहां बिजली कर्मी पूरे दिन बांहों पर काला फीता बांध कर विरोध जताएंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन में बिजली व्यवस्था या कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान कर्मचारी नहीं होने देंगे।

संयुक्त संघर्ष समिति के अंकुर पांडेय ने बताया कि पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के निजीकरण के एकतरफा फैसले के विरोध में कर्मचारी एकजुट है। संघर्ष समिति के अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि 01 अप्रैल 2010 को आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट पॉवर को सौंपी गयी थी। निजीकरण के करार के अनुसार पावर कारपोरेशन टोरेन्ट पॉवर को बिजली देता है। वर्ष 2023-24 में पावर कारपोरेशन ने 4.36 रूपये प्रति यूनिट की दर से टोरेन्ट पॉवर को 2300 मिलियन यूनिट बिजली दी। पॉवर कारपोरेशन ने यह बिजली रूपये 5.55 रूपये प्रति यूनिट की दर से खरीदी थी। इस प्रकार पॉवर कारपोरेशन को वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 275 करोड़ रूपये की क्षति हुई। 14 वर्षों में निजीकरण के इस प्रयोग से पॉवर कारपोरेशन को 2434 करोड़ रूपये की क्षति हो चुकी है। आगरा लेदर कैपिटल है, एशिया का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग है और पर्यटन का केन्द्र होने के नाते सबसे अधिक पाँच सितारा होटल आगरा में ही है। यदि आगरा शहर की बिजली व्यवस्था पावर कारपोरेशन के पास बनी रहती तो पॉवर कापोरेशन को आज आगरा से 8 रूपये प्रति यूनिट से अधिक का राजस्व मिलता। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि आगरा ग्रेटर नोएडा के निजीकरण के प्रयोग की समीक्षा किए बिना प्रदेश में निजीकरण का कोई अन्य प्रयोग ना थोपा जाए। संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से अपील की है कि वे प्रभावी हस्तक्षेप करें। जिससे पावर कारपोरेशन प्रबन्धन के निजीकरण के एकतरफा फैसले को कर्मचारियों के व्यापक हित में निरस्त किया जाए।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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