चौहटा की जातर के बाद देवता लौटे अपने गांव

मंडी, 05 मार्च (हि.स.)। मंडी शहर के अधिष्ठाता बाबा भूतनाथ के प्रांगण चौहटा की जातर के बाद छोटीकाशी अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि में आए देवी-देवता वापस अपने गांव लौट गए हैं। सात दिन तक जनपद के देवी-देवताओं के आने से छोटी काशी देवमयी हो उठी थी। देवताओं के जाने से मंडी नगर में एक उदासी का सा माहौल बरप गया है। जनपद के देवता साल में एक बार शिवरात्रि के दौरान मंडी वासियों के मेहमान बनकर आते हैं। ढोल नगाड़ों, करनाल, शहनाई और रणसिंगों के समवेत स्वरों से मंडी शहर एक सप्ताह तक गुंजायमान रहा। अब देवताओं के अपने गांव लौटते ही सब सूना —सूना सा लगने लगता है। देवताओं के बिना जातर का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।

बुधवार को चौहटा की जातर में देवताओं का दरबार सजा तो भारी भीड़ उनके दर्शनों के लिए उमड़ पड़ी। अपने परिजनों की तरह देवी देवता भी एक दूसरे से मिलकर एक साल के लिए जुदा हुए। अगली साल फिर मिलेंगे इस वादे के साथ जनपद के देवी—देवता जुदा हुए। जनपद के बड़ादेव कमरूनाग भी टारना मंदिर का अपना आसन छोड़ कर मंडी शहर में पहुंचे और बड़ा देओ से मिलकर देवता वापस अपने —अपने गांव के लिए रवाना हो गए।

बुधवार सुबह से ही चौहटा बाजार में अंतिम जातर के लिए देवी-देवता बैठने शुरू हो गये थे। वहीं पर मेला कमेटी के अध्यक्ष उपायुक्त अपूर्व देवगन ने राजराजेश्वरी के मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद चौहटा की जातर में पधारे देवी-देवताओं को चदरें और पूजा सामग्री भेंट की। इस दौरान चौहटा बाजार में देवी-देवताओं के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जिसके चलते यहां पर तिल धरने की जगह नहीं थी।

आदिब्रम्हा ने बांधी कार

वहीं पर मंडी शहर की खुशहाली और समृद्धि के लिए देव आदि ब्रम्हा ने कार बांधी। देवता के गूर ने देवता के रथ के साथ शहर की परिक्रमा करते हुए नगर वासियों की सुख समृद्धि के लिए दुआ की। इस दौरान देवता के दुवलुओं ने जौ के आटे का गुलाल की तरह हवा में उछाल कर बुरी आत्माओं को दूर रहने का आह्वान किया। इससे पूर्व मेला कमेटी के अध्यक्ष उपायुक्त ऋग्वेद ठाकुर की ओर से राज राजेश्वरी के मंदिर में पूजा अर्चना की गई। चौहटा बाजार में मौजूद देवी देवताओं को चदरें और पूजा सामग्री भेंट करने के पश्चात देवी देवता वापस लौट गए । एक सप्ताह तक मंडी शहर ढोल—नगाड़ों, शहनाई—करनाल और रणसिंगों के समवेत सवरों से गुंजायमान रहा। देवता के देवलू भी अपने देवता के साथ गांव लौट गए। मंडी शिवरात्रि महापर्व लोक देवताओं की उपस्थिति में लोकोत्सव का रूप ले लेता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

   

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