प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत होगा तटीय 100 गांवों का विकास, हर गांव को मिलेंगे 2 करोड़

- जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन का ऐलान

नई दिल्ली, 08 नवंबर (हि.स.)। मत्स्य पालन विभाग, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)- केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई), कोच्चि (केरल) में मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मत्स्य पालन विभाग और अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री जार्ज कुरियन के साथ-साथ कई गण्यमान्य व्यक्तियों, वैज्ञानिकों, राज्य के मत्स्य अधिकारियों, मछुआरों और मछुआरिनों की सहभागिता रही।

उद्घाटन सत्र में जॉर्ज कुरियन ने मत्स्य पालन विभाग द्वारा की गई पहलों और पिछले दशक में रणनीतिक निवेश और प्रगतिशील नीतियों द्वारा प्रेरित भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र की उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 100 जलवायु-लचीले तटीय मछुआरों के गांवों के विकास की घोषणा की, जिसमें बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के लिए प्रति गांव 2 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। इस पहल का उद्देश्य मछली सुखाने के यार्ड, प्रसंस्करण केंद्र और आपातकालीन बचाव सुविधाओं जैसी सुविधाएं प्रदान करके जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लचीलापन में सुधार करना है, साथ ही समुद्री शैवाल की खेती और हरित ईंधन पहल जैसी जलवायु-लचीली प्रथाओं का समर्थन करना है। मंत्री ने विशेष रूप से आपदाओं के दौरान जलीय कृषि फार्मों और मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे की निगरानी में ड्रोन प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डाला और 364 करोड़ रुपये के निवेश से वास्तविक समय की ट्रैकिंग, मौसम की चेतावनी और संचार के लिए एक लाख मछली पकड़ने वाले जहाजों को ट्रांसपोंडर से लैस करने की योजना का खुलासा किया।

संयुक्त सचिव (समुद्री) नीतू कुमारी प्रसाद ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लाभों पर प्रकाश डाला और मत्स्य पालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए मत्स्य विभाग की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। इस बात पर जोर दिया गया कि मत्स्य पालन विभाग ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्रों में सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को लगातार बढ़ावा दिया है। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इसने मछली उत्पादन को बढ़ावा देने, संसाधन प्रबंधन में सुधार करने और परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए प्रगति की है। इन पहलों के अनुरूप विभाग ने एनएफडीबी के सहयोग से कोलकाता के बैरकपुर में केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीआईएफआरआई) और बिहार के पटना में ज्ञान भवन सहित प्रमुख स्थानों पर ड्रोन प्रदर्शन आयोजित किए हैं।

डॉ. वीवी सुरेश, प्रमुख मैरीकल्चर डिवीजन और स्टार्टअप आईआरओवी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने मत्स्य पालन क्षेत्र में ड्रोन तकनीक के अनुप्रयोग और इसकी चुनौतियों पर प्रस्तुति दी। इसके बाद किसानों को टिकाऊ जलीय कृषि प्रथाओं का समर्थन करने के लिए विशेष रूप से तैयार मछली फ़ीड कैडलमिन बीएसएफ प्रो का वितरण भी किया गया। इसके अलावा, ईजी सैलास सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एंड इनोवेशन नामक एक ब्रोशर लॉन्च किया गया, जिसमें समुद्री मछली माइक्रोबायोम और न्यूट्रिजेनोमिक्स के क्षेत्र में प्रमुख प्रगति और योगदान पर प्रकाश डाला गया। इसके अलावा, इस सत्र में मरीन बायोलॉजिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमबीएआई) राष्ट्रीय संगोष्ठी का आधिकारिक शुभारंभ भी हुआ, जिसका उद्देश्य पूरे देश में समुद्री विज्ञान पेशेवरों के बीच सहयोग और ज्ञान-साझाकरण को बढ़ावा देना है।

ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला ने नवीन तकनीकी प्रगति को प्रदर्शित करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान किया, जिसमें मत्स्य पालन क्षेत्र में ड्रोन प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका पर जोर दिया गया ताकि इसकी क्षमता को अधिकतम किया जा सके। इस कार्यक्रम में मछुआरे, मछुआरिनें, वैज्ञानिक, उद्यमी, छात्र और अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव

   

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