शिमला नगर निगम से नाराज हुए हिमाचल के राज्यपाल

शिमला, 6 दिसंबर (हि.स.)। देशभर में शुक्रवार को संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। इस अवसर पर शिमला के चौड़ा मैदान में नगर निगम की तरफ से श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल हुए। खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में प्रदेश के प्रथम नागरिक राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने शिमला नगर निगम द्वारा भेजे गए सामान्य निमंत्रण को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की।

राज्यपाल ने शुक्रवार को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि उन्हें न तो मेयर और न ही किसी अन्य अधिकारी ने संपर्क किया, जबकि वह इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए गए थे।

राज्यपाल ने शिमला नगर निगम के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछली बार भी उन्हें अंबेडकर की जयंती पर किसी ने निमंत्रण नहीं भेजा था और वह खुद ही कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस बार भी नगर निगम ने उन्हें सामान्य कार्ड भेजा, जिसके कारण उन्होंने राजभवन में ही डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। राज्यपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने डॉ. अंबेडकर से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया है और वह उसी भारत सरकार के प्रतिनिधि हैं इसलिए उन्होंने वहीं श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान राज्यपाल ने नाम लिए बिना कांग्रेस पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि आज संविधान दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन कुछ लोग बिना कारण संविधान को हवा में लहराते रहते हैं, उनका क्या? इस बयान के जरिए उन्होंने उन लोगों को निशाना बनाया, जो संविधान का सम्मान न करते हुए केवल उसे प्रदर्शन के रूप में पेश करते हैं। हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह बयान कांग्रेस के नेताओं की ओर इशारा करता था, जो अक्सर संविधान की अहमियत को लेकर बयानबाजी करते रहते हैं।

विधेयकों पर भी राज्यपाल ने जताई असहमति

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने यह भी कहा कि वर्तमान में राज्य सरकार का कोई विधेयक पेंडिंग नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार को ऐसा लगता है कि कोई विधेयक पेंडिंग है तो वह स्पष्ट करें। राज्यपाल ने कहा कि जो विधेयक उनके पास आए थे उन्हें उन्होंने क्वेरी के साथ वापस भेजा था। विश्वविद्यालयों से जुड़े विधेयकों के संदर्भ में राज्यपाल ने कहा कि उनका यह दायित्व है कि वह सरकार की जबरदस्ती को स्वीकार नहीं करेंगे खासकर तब जब विश्वविद्यालयों को वेतन देने के अलावा कुछ नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार विश्वविद्यालयों को आर्थिक सहायता नहीं देती, तो विश्वविद्यालय अपने खर्चे कैसे चलाते?

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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