रघुवीर सहाय की लेखनी में आम आदमी के सुख-दुःख का चित्रण: प्राचार्य

-वक्ताओं ने उनकी कविता व लेखनी पर विचार किया

पूर्वी चंपारण,09 दिसंबर (हि.स.)।मुंशी सिंह महाविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के तत्वावधान में रघुवीर सहाय की जयंती के अवसर पर दूसरे जनतंत्र की तलाश और रघुवीर सहाय का रचना-कर्म विषयक पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार और बीआरएबीयू, मुजफ्फरपुर के पूर्व कुलपति प्रो. रवींद्र कुमार वर्मा ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. सतीश कुमार राय, अतिथि वक्ता के रूप में महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. अरुण कुमार, बीज वक्ता के रूप में प्राचार्य प्रो. मृगेंद्र कुमार जबकि वक्ता के रूप में एलएनडी कॉलेज के असिस्टेंट प्रो. डॉ. रवि रंजन सिंह और डॉ. विनय कुमार सिंह की उपस्थिति रही।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो. सतीश कुमार राय ने उनकी रचना- कर्म पर विस्तार से बात रखी। पत्रकारिता, अनुवाद और कविताओं के हवाले से उनके महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि रघुवीर सहाय की कविता निरंकुश सत्ता के खिलाफ मोर्चा तैयार करती है। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रो. रवींद्र कुमार वर्मा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में रघुवीर सहाय को आजादी के बाद के परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण साहित्यिक हस्तक्षेप के रूप में देखा । उन्होंने कहा कि उनकी कविता राजनीतिक स्वर लिए हुए वहां जाती है, जहां वे स्वतंत्रता के स्वप्नों के रोज टूटनेे का दंश दिखलाते हैं। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुंशी सिंह महाविद्यालय के हिंदी विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गौरव भारती ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / आनंद कुमार

   

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