जम्मू.कश्मीर में एनसी शासन में महिलाओं की अनदेखी की गई- रजनी सेठी

जम्मू 04 फरवरी (हि.स.)। रजनी सेठी ने कहा कि समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण के बारे में नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष का बयान महिलाओं के अधिकारों के प्रति वास्तविक प्रतिबद्धता के बजाय एक राजनीतिक स्टंट अधिक प्रतीत होता है।

जम्मू-कश्मीर भाजपा की प्रवक्ता रजनी सेठी के साथ जम्मू-कश्मीर भाजपा के मीडिया प्रभारी डॉ. प्रदीप महोत्रा भी थे जब उन्होंने पार्टी मुख्यालय त्रिकुटा नगर जम्मू में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।

रजनी सेठी ने कहा अगर एनसी सरकार वास्तव में महिला सशक्तिकरण में विश्वास करती है तो उन्होंने जम्मू-कश्मीर में महिलाओं के लिए समान अधिकार सुनिश्चित क्यों नहीं किए जब वे अतीत में सत्ता में थे।

दशकों से जम्मू-कश्मीर में महिलाओं को अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 के तहत भेदभावपूर्ण कानूनों के कारण मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया था। एक जम्मू-कश्मीर की महिला जिसने किसी बाहरी व्यक्ति से शादी की थी उसे अपने माता-पिता से संपत्ति विरासत में लेने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था जबकि पुरुषों को इस तरह के प्रतिबंध का सामना नहीं करना पड़ा। इसके अलावा वाल्मीकि समाज, पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों और गोरखाओं जैसे हाशिए के समुदायों की महिलाओं को मतदान के अधिकार और सरकारी नौकरियों से वंचित रखा गया। अगर एनसी वास्तव में महिलाओं के अधिकारों के लिए खड़ी थी तो उन्होंने इन अन्यायों को कभी संबोधित क्यों नहीं किया

रजनी सेठी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 को निरस्त करने के बाद ही जम्मू.कश्मीर में सभी समुदायों की महिलाओं को समान अधिकार मिले। अब चाहे कोई महिला जम्मू-कश्मीर के भीतर या बाहर शादी करे वह अपने उत्तराधिकार के अधिकार बरकरार रखती है। बीडीसी और डीडीसी चुनावों में 33ः आरक्षण के माध्यम से महिलाएं स्थानीय शासन में भी भाग ले रही हैं और संसद में एक ऐतिहासिक विधेयक पारित किया गया है जिसमें विधानसभा और संसदीय चुनावों में महिलाओं के लिए 33ः आरक्षण सुनिश्चित किया गया है। इसके अतिरिक्त भाजपा ने राज्य स्तर तक अपने संगठनात्मक ढांचे में महिलाओं के लिए 33ः आरक्षण सुनिश्चित किया। इसके विपरीत एनसी अपनी ही पार्टी के भीतर महिलाओं को समान प्रतिनिधित्व प्रदान करने में विफल रही है।

एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का महिला अधिकारों पर बयान तब खोखला लगता है जब हम उनकी सरकार के तहत कश्मीरी महिलाओं के खिलाफ पिछले अन्याय को देखते हैं। इन ऐतिहासिक गलतियों को संबोधित करने के बजाय एनसी नेता अक्सर केवल बयानबाजी में लगे रहे हैं जबकि जम्मू.कश्मीर में महिलाओं के लिए वास्तविक सुधार और न्याय केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही हासिल किया गया है।

रजनी सेठी ने आगे कहा कि महिलाओं के लिए फारूक अब्दुल्ला की सहानुभूति चुनिंदा और राजनीति से प्रेरित लगती है। अगर वह वास्तव में महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं तो उन्हें अपनी पार्टी में महिलाओं के लिए समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके शुरुआत करनी चाहिए और जम्मू.कश्मीर में सभी महिलाओं के लिए समान अधिकार हासिल करने में मौजूदा सरकार के योगदान को स्वीकार करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / मोनिका रानी

   

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