प्रमोद बोडो ने कोकराझार में डॉ. भूपेन हजारिका की प्रतिमा का किया अनावरण

प्रमोद बोडो ने कोकराझार में डॉ. भूपेन हजारिका की प्रतिमा का अनावरण कियाप्रमोद बोडो ने कोकराझार में डॉ. भूपेन हजारिका की प्रतिमा का अनावरण किया

कोकराझार (असम), 05 नम्बर (हि.स.)। बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल ( बीटीसी) के मुख्य कार्यकारी पार्षद प्रमोद बोडो ने आज कोकराझार में सुधाकंठ कानन में ब्रह्मपुत्र के महान गायक एवं भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका की एक भव्य प्रतिमा का अनावरण किया, जो इस प्रतिष्ठित सांस्कृतिक हस्ती की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया था। इस अवसर पर उनकी स्मृति में एक स्मारिका 'भूपेंद्र वैभव' का भी विमोचन किया गया।

अपने संबोधन में प्रमोद बोडो ने कहा कि यह प्रतिमा केवल डॉ. भूपेन हजारिका को श्रद्धांजलि नहीं है, बल्कि यह एकता, सामूहिक विकास और सामाजिक समरसता की स्थायी भावना का प्रतीक है। असमिया संगीत, संस्कृति और सामाजिक एकीकरण में डॉ. भूपेन हजारिका के योगदान को याद करते हुए, बोडो ने बीटीसी सरकार के 'विविधता में एकता' को बढ़ावा देने के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बोडोलैंड के सभी समुदायों की विशिष्ट पहचान को संरक्षित करने और उनके सक्रिय भागीदारी के माध्यम से क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बात की।

इसी दृष्टिकोण के तहत, बोडो ने बोडोलैंड के सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य को बेहतर बनाने के लिए कई विकासात्मक पहलों की घोषणा की। प्रमुख घोषणाओं में तमुलपुर में प्रसिद्ध सांस्कृतिक आइकॉन कला गुरु विष्णु प्रसाद राभा की प्रतिमा का निर्माण और बाक्सा में डॉ. भूपेन हजारिका भवन की स्थापना शामिल है, जिसमें 10 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा। इसके अलावा, बोडो ने डॉ. भूपेन हजारिका के 200 से अधिक गीतों का बोडो भाषा में अनुवाद कराने के लिए समर्थन की घोषणा की, जो परियोजना कोकराझार में पूरी की जाएगी।

असम के कपड़ा मंत्री और कोकराझार के गार्जियन मंत्री यूजी ब्रह्म ने भी सभा को संबोधित किया और डॉ. भूपेन हजारिका की अमिट विरासत की सराहना की। उन्होंने क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने के लिए बीटीसी की प्रतिबद्धता और बोडोलैंड के विविध समुदायों के बीच सामंजस्य और सहयोग को बढ़ावा देने पर बात की।

असम साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व डीजीपी कुलधर सैकिया ने इस दृष्टि को साकार करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस प्रतिमा को मानवता का एक शक्तिशाली प्रतीक बताया और डॉ. हजारिका के वैश्विक प्रभाव की याद दिलाई, जो भौगोलिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे है।

इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें सांसद जयंत बसुमतारी, विधायक लॉरेंस इस्लारी, कोकराझार डीसी मसंदा पार्टिन, बोडो साहित्य सभा के अध्यक्ष डॉ. सुरथ नार्जारी और प्रमुख कलाकार कमल चंद्र कटकी सहित अन्य शामिल थे, जिन्होंने डॉ. भूपेन हजारिका की स्थायी विरासत का जश्न मनाया।

हिन्दुस्थान समाचार / किशोर मिश्रा

   

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