गिरीपार क्षेत्र में पारंपरिक ढंग से शुरू हुआ बूढ़ी दिवाली पर्व का उत्सव
- Admin Admin
- Dec 01, 2024
नाहन, 01 दिसंबर (हि.स.)। सिरमौर जिले के गिरीपार हाटी जनजातीय क्षेत्र में मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या के अवसर पर बूढ़ी दिवाली पर्व का उल्लासपूर्ण आगाज हो गया है। यह पर्व दीपावली के एक महीने बाद मनाया जाता है और इस दौरान पूरे क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जो 5 से 7 दिन तक चलता है।
बूढ़ी दिवाली पर्व की शुरुआत अमावस्या की रात मशाल जुलूस के साथ होती है। इस जुलूस में लोग देवताओं की वंदना करते हुए ढोल-नगाड़ों और हुड़क की थाप पर नाचते-गाते हैं। मान्यता है कि इस दौरान मशाल की रोशनी से बुरी आत्माओं को गांव से दूर खदेड़ा जाता है।
बूढ़ी दिवाली के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, इस दूरदराज के क्षेत्र में दीपावली पर्व की सूचना देरी से पहुंची थी, जिसके कारण यहां के लोगों ने दीपावली को एक महीने बाद मनाना शुरू किया। एक अन्य कथा के मुताबिक, दैत्यराज बलि के पाताल लोक से धरती पर आगमन के उपलक्ष्य में इस पर्व को मनाया जाता है।
इस पर्व की खास बात यह है कि इसे आज भी पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है। आधुनिकता और बाहरी प्रभावों से दूर, यहां के लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए त्योहार को उत्साहपूर्वक मनाते हैं। युवा पीढ़ी भी इस पर्व में सक्रिय रूप से भाग लेकर परंपराओं को सहेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
बूढ़ी दिवाली के दौरान पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल रहता है। परिवार के लोग चाहे वे कहीं भी हों, इस समय अपने गांव पहुंचने का प्रयास करते हैं। ढोल-नगाड़ों की गूंज और पारंपरिक नृत्य गिरीपार क्षेत्र को जीवंत बना देते हैं।
बूढ़ी दिवाली सिरमौर की संस्कृति और परंपराओं की अनूठी पहचान है, जो न केवल प्राचीन पर्वों की महत्ता को दर्शाती है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का संदेश भी देती है
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हिन्दुस्थान समाचार / जितेंद्र ठाकुर