सूरत के हीरा उद्योग में मंदी का माहौल, सैकड़ों हीरा कारीगर विरोध में उतरे

वराछा के ए के रोड स्थित कंपनी के कैम्पस में शनिवार को विरोध करते हीरा उद्योग के कर्मचारी।

- दिवाली के बोनस और वेतन कटौती से उपजा रोष

सूरत, 05 अक्टूबर (हि.स.)। सूरत के हीरा उद्योग में मंदी के माहौल के बीच कर्मचारी और फर्म संचालकों के बीच रस्साकशी शुरू हो गई है। कतारगाम क्षेत्र के अश्विनी कुमार रोड पर एशियन स्टार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के हीरा कारीगर शनिवार को प्रदर्शन पर उतरे। करीब 800 हीरा कारीगर पिछले दो दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर रहकर विरोध कर रहे हैं। कंपनी ने दिवाली का बोनस अंतिम दिनों में देने और वेतन में 15 फीसदी कटौती की घोषणा की है।

सूरत में वर्ष 2008 के बाद दूसरी बड़ी मंदी का दौर चल रहा है। पिछले करीब दो साल से सूरत का हीरा व्यापार कमोबेश मंदी का शिकार है। खासकर यूक्रेन और रूस के बाद अब इजराइल और ईरान के बीच मिसाइलों से हमलों को लेकर हीरा कारोबार ठंडा है। कई कंपनियों ने अपने कारीगरों को 15 दिन से लेकर एक महीने तक की छुट्टी दे दी तो कई लोग खुद नौकरी छोड़कर दूसरे सेक्टर में काम करने लगे हैं। कतारगाम क्षेत्र के अश्विनी कुमार रोड पर एशियन स्टार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के हीरा कारीगर शनिवार को प्रदर्शन पर उतरे। हीरा कारीगर पिछले दो दिनों से अपनी मांग को लेकर काम से अलग हैं। शनिवार को एक बार फिर कंपनी संचालकों के साथ बातचीत की गई, लेकिन उनकी ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने से वे कंपनी से उतरकर कैम्पस में आ गए हैं। कर्मचारियों के अनुसार हर साल उन्हें मार्च और दिवाली के समय बोनस दिया जाता है। इस बार बोनस की मांग करने पर कंपनी की ओर से उनके अंतिम बोनस की बात कही गई। इसके बाद कंपनी की ओर से किसी को भी बोनस नहीं दिया जाएगा। इसके साथ इस महीने से उनके वेतन में भी 15 फीसदी की कटौती की जाएगी। इस निर्णय के विरोध में कर्मचारी विरोध पर उतर गए हैं।

हीरा उद्योग में 10 लाख कर्मचारी

सूरत में 3200 डायमंड यूनिट है, जिसमें 700 बड़ी और 2500 छोटी इकाइयां कार्यरत हैं। इन डायमंड यूनिट में लगभग 10 लाख कर्मचारी काम करते हैं। इनमें 8 लाख हीरा कारीगर हैं तो बाकी 2 लाख लोग प्रशासिक कार्य से जुड़े हैं। सूरत में बाहर के देशों से रफ डायमंड आयात किया जाता है, जिसे कटिंग और पॉलिशिंग के बाद बाहर के देशों में ही निर्यात किया जाता है। तैयार किए गए हीरे में से 95 फीसदी हीरा निर्यात हो जाता है। विश्व में 10 तैयार हीरा में से 9 हीरा सूरत आकर तैयार होता है। सूरत से निर्यात होने वाले हीरा में से 60 फीसदी अकेले अमेरिका भेजा जाता है।

2 साल से मंदी का माहौल

सूरत के हीरा उद्योग में छिटपुट तरीके से देखा जाए तो करीब 2 साल से मंदी का माहौल है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही सूरत में हीरा उद्योग प्रभावित होने लगा था। इसके बाद इजराइल और हमास के युद्ध ने बाकी रही सही कसर पूरी कर दी। इसके अलावा लक्जरियस आइटम होने की वजह से इसकी वैश्विक बाजार में मांग घटती-बढ़ती रहती है। पिछले दो साल से इसकी मांग में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। अभी के माहौल में इसकी मांग जबर्दस्त रूप से नीचे आई है। इसके अलावा हीरा अब लैब में बनने लगा है। इस तकनीक का सूरत समेत विश्व के कई देशों में यूनिट की स्थापना हुई है। इस लैब ग्रोन डायमंड का ओवर प्रोडक्शन होने से भी नेचुरल हीरा की मांग में गिरावट आई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

   

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