किश्तवाड़ के घने जंगलों में पैरा स्पेशल फोर्स और वायु सेना के कमांडो को उतारा गया
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- Nov 11, 2024
- सर्वोच्च बलिदान देने वाले नायब सूबेदार राकेश कुमार को व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने दी श्रद्धांजलि
- घने जंगल बने चुनौती, आतंकियों की गतिविधियां देख दो सर्कल में बांटकर चलाया गया ऑपरेशन
नई दिल्ली, 11 नवम्बर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले नायब सूबेदार राकेश कुमार को आज आर्मी व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने भव्य पुष्पांजलि समारोह में श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। हालांकि, रविवार की मुठभेड़ के बाद आतंकवादियों से कोई नया संपर्क नहीं हुआ है, लेकिन तलाशी अभियान के लिए पैरा स्पेशल फ़ोर्स और वायु सेना के कमांडो को उतारा गया है। सुरक्षाबलों का सोमवार को जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले के केशवान और आसपास के इलाकों के घने जंगलों में सर्च ऑपरेशन चल रहा है।
सेना अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादियों की तलाश में किश्तवाड़ के घने जंगल चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थिति के कारण सुरक्षाकर्मियों के लिए चुनौती बन गए हैं। इन्हीं जंगलों में छिपकर आतंकी पिछले छह माह से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। आतंकियों ने इस दौरान कई बड़ी वारदात को अंजाम दिया है, जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा जवानों की शहादत हुई है। सूत्रों के अनुसार किश्तवाड़ जिले में मुख्य रूप से दो समूह सक्रिय हैं, जिन्हें उनकी गतिविधियों के अनुसार दो सर्किल सी 1 और सी 2 में बांटा गया है। इन आतंकवादियों ने 2024 के मई-जून महीने में सांबा, कठुआ सीमा के माध्यम से घुसपैठ की। बाद में वे कठुआ, बिलावर, बानी, मछेड़ी, डोडा और फिर किश्तवाड़ से होकर गुजरे।
इसके बाद सेना ने दोनों सर्कलों में सर्च ऑपरेशन शुरू किया, जिस दौरान कई मुठभेड़ भी हुईं लेकिन आतंकी घने जंगल में छिपकर सुरक्षाबलों से मुकाबला कर रहे हैं। इसी दौरान किश्तवाड़ के घने जंगल में छिपे आतंकवादियों ने गुरुवार शाम को ग्राम रक्षा गार्डों (वीडीजी) नजीर अहमद और कुलदीप कुमार का अपहरण करके पास के कुंतवाड़ा जंगल में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। बाद में जब दोनों शव बरामद किये गए तो दोनों युवकों की आंखों पर पट्टी बंधी हुई और उनके हाथ भी पीछे बंधे हुए मिले। इसी के बाद आतंकियों की खोज शुरू की गई, लेकिन रविवार को आतंकवादियों से संपर्क स्थापित होने के बाद गोलीबारी शुरू हो गई।
किश्तवाड़ में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों की गतिविधियों पर नजर डालें तो पता चलता है कि सर्कल सी 1 में हलचल की शुरुआत होने पर एक मुठभेड़ के दौरान 15 जुलाई को किश्तवाड़ से सटे देसा डोडा में कैप्टन थापा सहित 4 कर्मियों को खो दिया, जिसमें 3-4 आतंकी भी ढेर किये गए। इसके बाद 28 जुलाई को केशवान और सरनवान इलाके में 4-6 लोगों की हलचल देखी गई है। इन संदिग्धों ने स्थानीय लोगों से घी में भुना हुआ मक्के का आटा मांगा। इसके बाद 10 अगस्त को गडूल अलहान कोकरनाग में मुठभेड़ हुई, जिसमें 2 सैन्य कर्मी बलिदान हुए।
इसके बाद 13 सितंबर को नायदगाम में सर्च पार्टी पर घात लगाकर हमला हुआ। इस मुठभेड़ में 2 सैन्यकर्मी खो दिए और 2 घायल हो गए। नायदगाम के पास गुरिनल इलाके में 21 सितंबर को मुठभेड़ हुई। केशवान के नजदीक 7 नवंबर को मुंजला धार, कुंतवाड़ा क्षेत्र में 2 वीडीजी शहीद हुए। इसके बाद 9 नवंबर को कुंतवाड़ा और केशवान के बीच चास क्षेत्र में मुठभेड़ हुई, जिसमें पैरा स्पेशल फ़ोर्स के नायब सूबेदार राकेश कुमार वीरगति को प्राप्त हुए और 03 जवान घायल हुए। सर्वोच्च बलिदान देने वाले नायब सूबेदार राकेश कुमार को आज आर्मी व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने भव्य पुष्पांजलि समारोह में श्रद्धांजलि अर्पित की।
सेना के अनुसार पिछले कई माह से आतंकवादियों की सर्कल सी 2 में भी हरकतें लगातार दिख रही हैं। सेना को 28 जुलाई को किश्तवाड़ के किधर इलाके में 4-6 आतंकियों की आवाजाही की सूचना मिली थी। इसके बाद 7 अगस्त को नागसेनी इलाके में एक घटना घटी, एक नागरिक ने दावा किया कि रात में जब वह हाथ धोने के लिए घर से बाहर निकला था, तो उसे गोली लग गई। चोटें मामूली थीं, इसलिए स्थानीय लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया। 10 अगस्त को पद्याराणा इलाके (पियास के पास) में आतंकवादियों को देखा गया। आतंकियों का समूह जब नदी पार करने की कोशिश कर रहा था, उसी समय गोलीबारी की गई, लेकिन इसके बाद वे दच्छन क्षेत्र की ओर जाने वाले मार्ग से भाग निकले। घाटी से मरवा, वारवान घाटी और फिर दच्छन से होकर किश्तवाड़ जाने के लिए यह आतंकियों का एक पुराना मार्ग है। ------------------
हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम