समाज सुधारक के साथ संविधान के मुख्य निर्माता थे डॉ. अंबेडकर : प्रो. सुनील बत्रा

हरिद्वार, 26 अप्रैल (हि.स.)। हरिद्वार स्थित महाविद्यालय के आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा शुक्रवार को 'डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों में सामाजिक न्याय की संकल्पना तथा संविधान में सामाजिक न्याय व डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन-परिचय' विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्राचार्य प्रो. सुनील बत्रा ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर एक समाज सुधारक होने के साथ-साथ एक अधिवक्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिक और भारतीय संविधान के मुख्य निर्माताओं में से एक थे। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक असमानता पैदा करने वाली सामाजिक व्यवस्था को खत्म करने की पुरजोर वकालत की। डॉ. अंबेडकर का मानना था कि आर्थिक उत्थान के बिना कोई भी सामाजिक एवं राजनीतिक भागीदारी सम्भव नहीं होगी।

मुख्य अधिष्ठाता छात्र कल्याण और आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर के किये गये कार्य आज शोध के लिए उपयुक्त हैं।

राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष विनय थपलियाल ने सामाजिक न्याय की संकल्पना को विस्तार से समझाते हुए बताया कि डॉ. अंबेडकर के सामाजिक न्याय की दिशा में किये गये कार्यों को भूलाया नहीं जा सकता।

इस अवसर पर बीए चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र आदित्य नौटियाल ने डॉ. अंबेडकर के सम्पूर्ण जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला और एमए द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा किरण ने सामाजिक न्याय की अवधारणा पर प्रकाश डाला।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/सत्यवान /वीरेन्द्र

   

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