म्यांमार का शैक्षणिक प्रतिनिधि मंडल पहुंचा सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, होगा एमओयू

वाराणसी,15 मई (हि.स.)। महावीर धम्मविनय विश्वविद्यालय,यंगून,म्यांमार का एक प्रतिनिधि मंडल बुधवार को सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर पहुंचा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने प्रतिनिधि मंडल का अपने कार्यालय में गर्मजोशी से स्वागत किया।

इस दौरान हुई बैठक में प्रतिनिधि मंडल ने दोनों संस्थानों के बीच शैक्षणिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अवसरों का पता लगाने के लिए विमर्श हुआ। इसमें शैक्षणिक सुविधाओं के लिए शिक्षकों के पारस्परिक व्याख्यानों का आयोजन, छात्रों की मूलभूत सुविधाओं, शैक्षणिक सामग्री का आदान-प्रदान पर जोर दिया गया। तय हुआ कि संस्कृति का भाव (संस्कृत,पाली, बौद्ध दर्शन, इतिहास, पुरातत्व, सामाजिक विज्ञान, टूरिस्ट, पाण्डुलिपि अध्ययन) विषय पर दोनों संस्थान मिल कर कार्य करेंगे।

बैठक के बाद कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक समझौते से अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक स्तर पर संस्कृत और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। देवभाषा संस्कृत दुनियां की सभी भाषाओं की जननी है, विश्व की ज्ञान राशि का सबसे अमूल्य भंडार संस्कृत शास्त्रों में ही निहित हैं। अन्य भाषाओं को समृद्ध करना है तो संस्कृत के व्यापक अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करनी होगी।

—नवाचार कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए इवेंट्स, संयुक्त पहल प्रोग्राम

कुलपति प्रो.शर्मा के अनुसार एमओयू के बाद व्याख्यान श्रृंखला,सांस्कृतिक और धार्मिक अध्ययन,संस्कृत और भारतीय ज्ञान प्रणाली के क्षेत्रों में अकादमिक आदान-प्रदान, केन्द्रीय पुस्तकालय, पुस्तकालय के बीच सहयोग के माध्यम से पुस्तकालय सुविधाओं और पाण्डुलिपि संसाधनों तक पहुंच होगी। साथ ही शोधकर्ताओं का आदान प्रदान, शिक्षण-स्टाफ और छात्र, संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं का संचालन तथा शिक्षण सामग्रियों का आदान-प्रदान सहित विद्यार्थी अदला-बदली प्रोग्राम भी होगा।

इसके अलावा सहयोगी अनुसंधान योजना (प्रोजेक्ट), अहम क्षेत्रों में अनुसंधान में विकास, अंतःविषय में गतिविधियां की शुरुआत, व्यावसयिक और नवाचार कार्यक्रम बढ़ाने के लिए ईवेंट और संयुक्त पहल प्रोग्राम, विद्यार्थी एवं शिक्षकों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। विद्यार्थियों को रोजगापरक पाठ्यक्रम का संचालन कर उन्हें सहयोग कर आत्मनिर्भर बनाना तथा सांस्कृतिक विनिमय किया जायेगा।

कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि यह संस्था और म्यांमार मिलकर रिफ्रेशर कोर्स, ट्रेनिंग वर्कशॉप और विभिन्न बिन्दुओं पर सेमिनार आदि आयोजित किये जायेंगे। समझौते से दोनों संस्थाओं से संस्कृतियों एवं भाषा विचारों का आदान-प्रदान होगा।

म्यामांर के प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष डॉ आशीष विज्जानंद ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के इस अति प्राचीन संस्था में जहां समृद्ध संस्कृत शास्त्र का भंडार है, समृद्ध ग्रंथालय और संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों का संग्रह है, यहां से पाली सहित अन्य भाषाओं को समृद्ध बनाने की अनेकों सम्भावनाएं सुरक्षित हैं। इसलिये समझौता होने पर म्यांमार के अध्यापकों और विद्यार्थियों को अनेकों लाभ की संभावना में वृद्धि होगी। आज शैक्षणिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की दिशा में सूक्ष्मता से परखा गया। बैठक में दोनों पक्षों ने संस्कृत अध्ययन,बौद्ध दर्शन और सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से व्यावहारिक रूप से विभिन्न आयामों पर विचार विमर्श किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश

   

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