मसीही समाज का शुरु हुआ राख का पर्व, 40 दिन रोजा रख प्रभु यीशु को करेंगे याद

कानपुर, 14 फरवरी (हि.स.)। प्रभु यीशु मसीह के क्रूसीकरण के 40 दिन पहले पड़ने वाले बुधवार को राख का बुधवार कहा जाता है। इस बार यह 14 फरवरी को पड़ा और शाम को अलग अलग चर्च में एकत्र होकर मसीही समाज के लोग 40 दिन के पवित्र उपवास (रोजे) को आरंभ कर दिये। इसी के साथ गुडफ्राइडे की तैयारी भी शुरु हो जाती है। इस बार गुड फ्राइडे 29 मार्च व ईस्टर डे 31 मार्च को मनाया जाएगा। गुडफ्राइडे को प्रभु यीशु को सूली दी गई थी और तीसरे दिन यानी ईस्टर डे को वह पुनः जी उठे थे।

द गुड शेफर्ड चर्च इन इंडिया के तत्वावधान में शाम छह बजे गूबा गार्डेन कल्याणपुर चर्च में राख के पर्व का आयोजन हुआ। भारी संख्या में उपस्थित लोगों ने 40 दिन के पवित्र उपवास (रोजे) का आरंभ किया। इसके साथ ही प्रतिज्ञा की कि इन पवित्र दिनों में अपने पापों का अंगीकार करेंगे और आगे का जीवन पवित्राई से निर्वाह करेंगे। सभी ने प्रभु यीशु मसीह के बलिदान को याद किया और अपने पापों की क्षमा मांगी। इस दौरान पैराडाइस एंजेल बैंड के द्वारा ‘जो क्रूस पे कुर्बान है और तेरा लहू बड़ा कीमती है आदि गीत गाये गये। वहीं बिशप पंकज राज मलिक ने सभी लोगों के लिए प्रार्थना करी और संदेश दिया कि इन पवित्र दिनों में हम ईश्वर को स्मरण करें व मानव जाति के लिए कार्य करें। इस अवसर पर अनुपमा मलिक, अनुराज, सागर मसीह, सौरभ, श्रेयराज, अभिमन्यु, रिक्की, अमन आदि मौजूद रहें।

24 घंटे में एक बार होता है सात्विक भोजन

पादरी सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि अपने जीवन का मूल्यांकन करने व प्रभु के करीब पहुंचने के लिए मसीही 40 दिन का उपवास रखते हैं। इस उपवास की शुरुआत प्रभु यीशु के सूली दिये जाने के 40 दिन पहले पड़ने वाले बुधवार से होती है। इन 40 दिनों में रविवार के दिन रोजा नहीं रखा जाता। इस प्रकार इस बार 14 फरवरी से राख का पर्व शुरु हुआ और 29 मार्च को गुड फ्राइडे व 31 मार्च को ईस्टर डे मनाया जाएगा। इस दौरान मसीही लोग रोजा रहकर अपने गुनाहों की तौबा करते हैं और सच्चे मन से प्रभु यीशु को याद करते हैं। मान्यता है कि इन दिनों गुनाहों की माफी मांगने पर प्रभु यीशु माफ कर देते हैं। रोजा रखने के साथ ही विश्वासी पवित्र शास्त्र बाइबिल का पाठ करते हैं। रोजा के दौरान दिन भर अन्न-जल कुछ भी नहीं लेते हैं, 24 घंटे में केवल एक बार रात को सात्विक भोजन करते हैं। बाइबिल के अनुसार विश्वासियों को यह निर्देश है कि वे अपने रोजा की चर्चा कहीं न करें और न ही उनके आचरण व व्यवहार से किसी को इस बात की जानकारी होने पाए। इस दौरान रोज के कार्य ठीक उसी प्रकार करने होते हैं जैसे अन्य दिनों में।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/पदुम नारायण

   

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