गोविंद देवजी मंदिर में धूमधाम से मना राधा वल्लभ लाल का विवाहोत्सव

 Govind Devji temple

जयपुर, 18 मई (हि.स.)। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर के सत्संग भवन में चल रहे तीन दिवसीय गोस्वामी श्रीहित हरिवंश महाप्रभु के 551 वें प्राकट्योत्सव के दूसरे दिन शनिवार को राधा वल्लभ लाल का विवाहोत्सव धूमधाम से मनाया गया।

गाजेबाजे के साथ चौगान स्टेडियम स्थित राधा सत्संग भवन से राधा वल्लभ लाल की बारात गोविंद देवजी मंदिर पहुंची। मुख्य द्वार पर दुल्हा स्वरुप राधा वल्लभ लाल ने तोरण मारा। स्वागत सत्कार की रस्मों के बाद विवाह की अन्य सभी रस्में विधि विधान से निभाई गई। गोस्वामी श्रीहित हरिवंश महाप्रभु की मान्यतानुसार विवाहोत्सव का सुंदर मंचन किया गया। वृंदावन से आए एक दर्जन से अधिक वैष्णव रसिकजनों ने विवाहोत्सव के सरस पदों का गायन किया तो उपस्थित श्रद्धालुगण अपने स्थान से उठकर नाचने लगे। बधाईगान और नृत्य की जुगलंदी के साथ उछाल की गई। विवाह के प्रसंगानुसार निकुंज के द्वार पर विवाह उत्सव की शोभा दर्शनीय है। जहां हितरूपी वंदनवार बंधी हुई है। निकुंज के प्रांगण में केशर से लेपन किया गया है। अद्भुत मोतियों से चौक पूरे गए हैं। सखियों ने मोतियों द्वारा तरह-तरह की रचनाओं से चौक को सुसज्जित किया किया है। जब प्रिया-प्रियतम वर-वधू के रूप में वहां आए तब अपने रूप सौन्दर्य से सखियों की गति-मति का हरण कर लिया। गहरे लाल रंग की मेंहदी से उनके चरण और हस्त कमल अत्यन्त शोभायमान हो रहे हैं। श्री राधावल्लभ लाल के चरणों के नूपुर और कोटि की किकंणियों का मधुर स्वर तरह की रागों की सृष्टि कर रहा है।

श्री राधावल्लभ संप्रदायाचार्य छोटी सरकार गोस्वामी प्रेम कुमार महाराज ने प्रवचन में कहा कि प्रिया-प्रियतम का विवाहोत्सव रसिकजनों का प्राणाधर उत्सव है। यह उत्सव वृंदावन में नित्य होता है। सखी-सहचरियों ने रात्रि को ठाकुरजी का विवाह किया और सुबह मंगला झांकी में वे फिर कुंवारे हो जाते हैं। फिर किसी सखी के मन में भाव आता है फिर ठाकुरजी का विवाह होता है। इससे पूर्व गोस्वामी श्रीहित हरिवंश महाप्रभु के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्जवलन और राधा वल्लभ लाल की आरती के साथ दूसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

   

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