लोस चुनाव : संत कबीर नगर में भाजपा लगाएगी हैट्रिक या विपक्ष की होगी वापसी!

लखनऊ, 23 मई (हि.स.)। संत कबीर नगर को महान संत कबीर दास की धरती के रूप में जाना जाता है। घाघरा और राप्ती के किनारे बसा संत कबीर नगर बस्ती मंडल का हिस्सा है। संत कबीर की निर्वाण स्थली ‘मगहर’ इसी क्षेत्र में है। संतकबीरनगर एक जिला एक उत्पाद के जरिये होजरी व बर्तन उद्योग में अपना भविष्य तलाश रहा है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 62 संतकबीर नगर में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।

संत कबीर नगर संसदीय सीट का इतिहास

वर्ष 1967 के चौथे लोकसभा चुनाव में खलीलाबाद के नाम से इस सीट का सृजन हुआ। इससे पूर्व यह क्षेत्र बांसी लोकसभा सीट में शामिल था। खलीलाबाद संसदीय सीट (वर्तमान में संतकबीर नगर) का नाम और परिसीमन के बाद क्षेत्र भले ही बदलता रहा लेकिन यहां सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकार्ड नहीं बदल सका है। यह रिकार्ड अभी तक समाजवादी नेता ब्रजभूषण तिवारी के नाम दर्ज है।

इस संसदीय सीट को 3 जिलों के क्षेत्रों को शामिल कर बनाया गया। अंबेडकर नगर, संत कबीर नगर और गोरखपुर की विधानसभा सीटों को इस नई संसदीय सीट में शामिल किया गया.। संत कबीर नगर लोकसभा सीट का अस्तित्व ज्यादा पुराना नहीं है और 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी। 2009 में हुए पहले आम चुनाव में बसपा के भीष्म शंकर तिवारी ने विजय परचम फहराया। 2014 के आम चुनाव में देशभर में चली मोदी लहर में ये सीट भाजपा के शरद त्रिपाठी ने जीती। 2019 में प्रवीण कुमार निषाद ने यहां जीत का कमल खिलाया।

पिछले दो चुनावों का हाल

साल 2019 में हुए संसदीय चुनाव में संत कबीर नगर लोकसभा सीट से भाजपा को जीत मिली थी। भाजपा ने यहां से प्रवीन कुमार निषाद को खड़ा किया था। जवाब में बसपा ने भीष्म शंकर तिवारी को मैदान में उतारा। उप्र में सपा और बसपा के बीच चुनावी गठबंधन था और यहां से बसपा ने अपना उम्मीदवार उतारा। प्रवीन कुमार निषाद को 467,543 (43.95%) वोट मिले तो भीष्म शंकर तिवारी के खाते में 431,794 (40.59%) वोट आए। चुनाव में मुकाबला कांटे का रहा और महज 35,749 मतों के अंतर से प्रवीन निषाद को जीत मिली।

इससे पहले 2014 के चुनाव में जब देश में मोदी लहर थी, तब भाजपा ने शरद त्रिपाठी (348,892 वोट) को मैदान में उतारा तो बसपा ने भीष्म शंकर तिवारी (250,914 वोट) को टिकट दिया था। सपा ने भाल चंद्र यादव (240,169 वोट) को मैदान में उतारा। चुनाव में तीनों ही उम्मीदवारों को 2-2 लाख से अधिक वोट हासिल हुए थे। हालांकि भाजपा के शरद त्रिपाठी ने 97,978 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की और सांसद बने।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने संत कबीर नगर से लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद प्रवीन कुमार निषाद पर भरोसा जताया है। बसपा से नदीम अशरफ और सपा से लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

संत कबीर नगर सीट का जातीय समीकरण

संत कबीर नगर संसदीय सीट पर करीब 20 लाख वोटर हैं। यहां निषाद और यादव वोटर, मुस्लिम और दलित वोटर के साथ जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं।अनुमानित जातीय समीकरण सवर्ण 4.85 लाख, ओबीसी 5.50 लाख, दलित 4.48 लाख, मुस्लिम 4.61 लाख वोटर हैं।

विधानसभा सीटों का हाल

संत कबीर नगर संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें आलापुर सुरक्षित अंबेडकरनगर जिले में आती है, जबकि खजनी सुरक्षित गोरखपुर जिले की सीट है। वहीं घनघटा सुरक्षित, मेंहदावल और खलीलाबाद संत कबीर नगर जिले में आती हैं। मेंहदावल सीट निषाद पार्टी और आलापुर सपा के कब्जे में हैं। बाकी सीटों पर भाजपा काबिज है।

जीत का गणित और चुनौतियां

संत कबीर की धरती पर विकास और मुद्दे यहां गौण हैं। सामाजिक समीकरणों की गणित मुखर। यह संसदीय क्षेत्र ब्राह्मण, निषाद, यादव और दलित बहुल है। हालांकि मुस्लिम, ओबीसी और दूसरे सवर्ण बिरादरी के मतदाता यहां पर निर्णायक हैं। भाजपा प्रवीण निषाद के बाद सपा ने भी निषाद कार्ड खेला है। इसका मतलब यह नहीं कि बसपा लड़ाई से बाहर है। उसने भी नदीम अशरफ को मैदान में इस सोच के साथ उतारा है कि कैडर वोट के साथ अगर मुस्लिम आबादी भी उसके साथ आई तो पासा पलट सकता है। हालांकि मुस्लिम आबादी केवल मुस्लिम प्रत्याशी के नाम पर बसपा के साथ खड़ी होगी, इस पर क्षेत्र के मुस्लिम मतदाता ही सवाल उठा रहे हैं। पिछले आंकड़े बताते हैं कि इस सीट का चुनावी रण कभी आसान नहीं रहा और इस बार का परिदृश्य भी कुछ ऐसा ही है।

राजनीतिक समीक्षक डॉ. ओम प्रकाश त्रिपाठी के अनुसार, इस सीट पर पिछले दो चुनाव में मोदी लहर के चलते नजदीकी मुकाबले में शरद त्रिपाठी और प्रवीण निषाद जीते हैं। मगर इस बार यहां पर मुकाबला कड़ा होने के आसार हैं। वाराणसी की तरह इस सीट पर भी पीएम मोदी का असर माहौल में हावी है।

संत कबीर नगर से कौन कब बना सांसद

2009 भीष्म शंकर (बसपा)

2014 शरद त्रिपाठी (भाजपा)

2019 प्रवीन कुमार निषाद (भाजपा)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/मोहित

   

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