शिक्षा का अलख जगाने 624 सर्वे दल बच्चों को स्कूल भेजने के लिए करेगी प्रोत्साहित

बीजापुर, 25 मई (हि.स.)। नक्सल प्रभावित इलााकों में सरकार और प्रशासन ने शिक्षा के प्रसार के लिए प्रशासन ने एक अभियान की शुरुवात की है। गोंडी भाषा मे इस अभियान का नाम (स्कूल वेन्डे वर्राटू पंडुम अभियान) है, इसका हिन्दी में अनुवाद स्कूल फिर चले अभियान है। जिले में शिक्षा का अलख जगाने 624 सर्वे दल 579 गांव और 03 नगरीय निकायों में शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों की पहचान के लिए घर-घर दस्तक देगा। इस अभियान के तहत बीजापुर शिक्षा विभाग ने हर एक गांव में एक सर्वेक्षण टीम का गठन किया है। इस टीम में शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन को शामिल किया गया है। यह टीम हर दिन एक गांव जाएगी और स्थानीय ग्रामीणों से मुलाकात करेगी। इसके बाद बच्चों के हर घर में माता-पिता से बात कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इस दौरन एसडीएम जागेश्वर कौशल, एसडीएम उसूर भूपेंद्र गावड़े, डीईओ रमेश निषाद, डीएमसी विजेंद्र राठौर सहित सभी ब्लॉकों के बीईओ, बीआरसी, संकुल समन्वयक सहित शिक्षक-शिक्षिकाएं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व स्वास्थ्य कार्यकर्ता मौजूद रहे। कलेक्टर ने सर्वे के संबंध में सर्वे दल के सदस्यों से विस्तारपूर्वक चर्चा की।

नवोदय विद्यालय में हुए कार्यक्रम में कलेक्टर अनुराग पांडे ने कहा कि शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करने में यह अभियान एक मिसाल बनेगा। शालात्यागी व अप्रवेशी बच्चे जिले में काफी तादाद में हैं, जिनके कारणों को जानना शासन और प्रशासन के लिए आवश्यक है तभी उन कारणों का निदान कर शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति की जा सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में विकास किए बिना हम सामाजिक और आर्थिक रूप से किसी भी समाज के विकास की परिकल्पना नहीं कर सकते। बच्चों की शिक्षा में बाधक तत्व जो हैं उन्हें जिम्मेदारी से जानना पहला प्रयास है इसके बाद हम उन्हें शिक्षा से जोड़ने के विकल्प पर योजना बनाकर बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। जिला प्रशासन सभी विभागों से समन्वय कर बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में पहल कर रहा है इसमें हमारे सभी मैदानी अमले की मेहनत ज्यादा महत्वपूर्ण है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे

   

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