हिसार: संजीवनी ध्यान जीवन को प्राणदायक ऊर्जा से संतुलित करने का उपाय: आचार्य रविंद्र

हिसार, 26 मई (हि.स.)। ओशो सिद्धार्थ फाउंडेशन के तत्वाधान में ओशोधरा मैत्री संघ की ओर से कौशिक नगर स्थित साधना केंद्र में संडे ध्यान में आचार्य रविंद्र ने संजीवनी ध्यान करवाया। इस कार्यक्रम में अनेक श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया।

आचार्य रविन्द्र ने बताया कि संजीवनी ध्यान का अर्थ होता है 'जीवन का समर्थन' या 'जीवन की ऊर्जा का संग्रह' है। यह एक प्रमुख ध्यान पद्धति है जो साधकों को मानसिक शांति, आत्मा का समर्थन और आध्यात्मिक उन्नति की की दिशा में मार्गदर्शन करती है। इस ध्यान पद्धति का उद्दीपन मुख्य रुप से भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से हुआ है और यह ध्यान साधने वाले को शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति का उत्कृष्ट अनुभव करने का उद्देश्य रखता है।

यह ध्यान विभिन्न आसन, प्राणायाम, मुद्राएं और मन को नियंत्रित करने के तकनीकों का समाहित मिश्रण है। साधक इस ध्यान के माध्यम से अपने मन को नियंत्रित करता है और आत्मा के साथ संयोजन प्राप्त करता है। इस ध्यान पद्धति में मुद्राएं भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। संजीवनी ध्यान का प्रशिक्षण ध्यान गुरुओं द्वारा दिया जाता है, जो अपने शिष्यों को ध्यान की शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

यह ध्यान साधने वाले को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की सुरक्षा में मदद करता है और उसे जीवन में संतुलन और एकाग्रता की प्राप्ति होती है। ध्यान की प्रैक्टिस करने से व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मकता, स्वस्थ संबंध, और आत्म-समर्पण की दिशा में बदल सकता है। संजीवनी ध्यान एक सांस्कृतिक और धार्मिक अभ्यास होता है जो साधकों को आत्मा के अद्वितीयता का अनुभव करने का मार्ग दिखाता है। उन्होंने कहा कि कोई भी ध्यान किसी गुरु या प्रशिक्षित आचार्य के निर्देशन में ही करना चाहिए।

ध्यान के बाद ओशोधारा, हरियाणा के संयोजक आचार्य सुभाष ने साधकों को संबोधित करते हुए बताया कि ओशोधारा के कार्यक्रम वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रमाणिक है। ध्यान को घर-घर तक पहुंचाने के उद्देश्य से हर सप्ताह पूरे देश में ध्यान योग का कार्यक्रम तय किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश्वर/संजीव

   

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