जातिगत सियासत हावी, भाजपा के परंपरागत वोट में सेंध

महोबा, 05 जून (हि.स.)। महोबा-हमीरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा और इंडी (आईएनडीआईए) गठबंधन के प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। रोमांचक मुकाबले में इंडी गठबंधन के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की और भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। दो दशक के वनवास के बाद एक बार फिर संसदीय सीट पर साईकिल दौड़ी है।

बुंदेलखंड की हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर भाजपा और विपक्षी गठबंधन के सपा प्रत्याशी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। रोमांचक मुकाबले में गठबंधन के अजेंद्र सिंह राजपूत ने भाजपा के प्रत्याशी कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को बेहद करीब 2629 वोटों के अंतर से शिकस्त दी है। इससे पूर्व वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण बुधौलिया ने जीत दर्ज की थी। लोकसभा सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी विजय बहादुर सिंह जीते थे। जिसके बाद एक दशक से 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने जीत दर्ज की है। 2024 के चुनाव में इंडी गठबंधन के प्रत्याशी अजेंद्र सिंह राजपूत को चार लाख 90 हजार 683 वोट मिले और भाजपा प्रत्याशी पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को चार लाख 88 हजार 54 मत मिले हैं, जबकि बसपा प्रत्याशी निर्दोष दीक्षित को मात्र 94696 मत ही हासिल हो सके हैं।

इस तरह इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल जीत की हैट्रिक लगाने से चूक गए। अभी तक यहां पर कांग्रेस पार्टी से मन्नू लाल वर्ष 1952, 1957 और 1962 के चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं। जबकि स्वामी ब्रह्मानंद और गंगा चरण राजपूत लगातार दो बार सांसद चुने जा चुके हैं।

दो दशक के चुनाव में बसपा का इस सीट पर लगातार जनाधार कम होता जा रहा है। बहुजन समाजवादी पार्टी यहां से दो बार जीत का स्वाद चख चुकी है। जबकि 2019 के चुनाव में बसपा यहां पर दूसरे स्थान पर रही थी। इस सीट पर दो दशक के चुनाव में बसपा का यह सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन साबित हुआ है। इस बार बसपा प्रत्याशी एक लाख का आंकड़ा भी नहीं छू सके हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ उपेंद्र/मोहित

   

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