रामनाम की नौका से संसार रूपी भवसागर हो जाता है पारः डॉ वेदांती महाराज

श्रीराम कथा में धूमधाम से संपन्न हुआ राम-जानकी विवाह

हरिद्वार, 9 जून (हि.स.)। हिंदू धाम संस्थापक एवं वशिष्ठ भवन पीठाधीश्वर महंत ब्रह्मर्षि डॉ रामविलास दास वेदांती महाराज ने कहा कि रामकथा सुनने से जिंदगी का बेड़ा पार हो जाता है और प्राणियों का उद्धार होता है। जो लोग इस संसार रूपी भवसागर से पार पाना चाहते हैं, उसके लिए सिर्फ राम नाम की नौका काफी है। बस एक बार आप भगवान के नाम पर विश्वास करके देखिए, प्रभु श्री राम आपको हर दुखों से पार कर देंगे।

हरिद्वार के प्रेमनगर आश्रम में चल रही संगीतमयी श्रीमद् बाल्मीकिय श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस पर भगवान राम-जानकी विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने माता सीता और प्रभु राम को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कथा व्यास डॉ रामविलास दास वेदांती महाराज ने भजनों के माध्यम से सीता-राम विवाह का सुंदर चित्रण कर लोगों के मन मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया।

उन्होंने कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि अहिल्या उद्धार के बाद राम जनकपुर की सीमा पर पहुंचे। तब विश्वामित्र को सीता स्वयंवर और धनुष यज्ञ का समाचार मिला। विश्वामित्र श्रीराम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुर पहुंचे। राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा था। उनके विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते समय धनुष को उठाकर दूसरी जगह रखा। इसे देखकर जनक आश्चर्यचकित हुए, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा की कि जो इस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का स्वयंवर होगा। स्वयंवर की निर्धारित तिथि पर सभी देश के राजा और महाराजाओं को आमंत्रित किया गया। धनुष को उठाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्रीराम ने धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे तो वह टूट गया। धनुष टूटने का प्रसंग टूटते ही पंडाल में जय श्री राम के जयघोष लगे। स्वयंवर में भगवान राम ने शिव धनुष को तोड़ा और सीता ने उन्हें अपने पति के रूप में चुना। स्वयंवर के करीब एक माह के उपरांत राजा दशरथ के बारात लेकर जनकपुर पहुंचने राम-सीता का विधिवत विवाह हुआ। भगवान राम के साथ भरत-मांडवी, लक्ष्मण-उर्मिला, शत्रुघ्न-यशकीर्ति विवाह का भी विवाह संपन्न हुआ। इस दौरान कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/वीरेन्द्र

   

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