नवीन आचार्य प्रशिक्षण वर्ग, ज्ञान की व्यवस्था है शिक्षा - रामचंद्र आर्य

प्रशिक्षण लेते प्रशिक्षणार्थी

भागलपुर, 10 जून (हि.स.)। भारती शिक्षा समिति एवं शिशु शिक्षा प्रबंध समिति के संयुक्त तत्वाधान में सैनिक स्कूल गणपत राय सलारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर नरगाकोठी में चल रहे नवीन आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के नवम दिवस सोमवार का प्रारंभ वर्ग के प्रधानाचार्य सतीश कुमार सिंह, पूर्णकालिक राकेश नारायण अम्बष्ट, भारती शिक्षा समिति के कार्यालय प्रमुख रामचंद्र आर्य, गया के विभाग निरीक्षक ब्रह्मदेव प्रसाद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।

इस मौके पर रामचंद्र आर्य ने कहा कि शिक्षा ज्ञान की व्यवस्था है। ज्ञान ब्रह्म का स्वरूप है। ब्रह्म स्वरूप ज्ञान को विश्व रूप में प्रकट करना शिक्षा का कार्य है। समाज को सत्य और धर्म के मार्ग पर ले जाते हुए राष्ट्र को परम वैभव के पद पर लेकर जाना ताकि विश्व का कल्याण हो। शिक्षा को बाल केंद्रित शिक्षा के रूप में तब संदर्भित किया जाता है जब यह बच्चों की आवश्यकताओं, रुचियों और योग्यताओं को वरीयता देती है। कक्षा- कक्ष के पाठ में संकल्पना ,भावना, कौशल, विचार, दृष्टि, व्यवहार व क्रियाकलाप कर शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन करना है।

उमाशंकर पोद्दार ने कहा कि आदर्श पाठ योजना के अंतर्गत पंचपदी शिक्षक प्रणाली द्वारा व्यवस्थित शिक्षण की व्यवस्था है। एक के बाद एक 5 सोपानों से होकर गुजरते हुए शिक्षक की प्रक्रिया संपन्न होती है जिसे जहां एक ओर शिक्षणकार्य सुगम हो जाता है वहीं दूसरी ओर छात्रों को सिखाने में सरलता होती है और वह व्यवस्थित ढंग से नवीन ज्ञान को ग्रहण कर पाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/बिजय

/चंदा

   

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