आपका एक समझदारी भरा कदम ला सकता है किसी के अंधेरे जीवन में उजाला

Aapka samjhadari bhara kadam la sakta hai andhere me ujala

हरदोई, 10 जून(हि.स.)। नेत्रदान, रक्तदान से कम पुण्य का काम नहीं, क्योंकि इस दान से आप किसी की जिंदगी में उजाला ला सकते हैं। आंखें हमारे जिंदा रहने तक तो हमारी जिंदगी रोशन करती ही है, मरने के बाद भी ये किसी दूसरे की जिंदगी रोशन कर सकती हैं।

हर साल 10 जून को नेत्रदान दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाना है। आज हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो या तो किसी दुर्घटनावश या फिर जन्मजात अंधे हैं। जागरूकता और कुछ प्रयासों के माध्यम से इन्हें एक बेहतर जिंदगी दी जा सकती है। तो नेत्रदान की महत्वता समझें और आगे बढ़कर अपनी आंखें दान करने की शपथ लें।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सफीउल्लाह खां बताते हैं कि हाल-फिलहाल बदलती लाइफस्टाइल, अनियमित दिनचर्या, प्रदूषण और बहुत ज्यादा स्ट्रेस की वजह से ज्यादातर लोग आंख से जुड़ी समस्याओं का शिकार होने लगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कॉर्निया की बीमारियां (कार्निया की क्षति, जो कि आंखों की अगली परत हैं), मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, दृष्टि हानि अंधेपन के प्रमुख वजहों में से एक हैं। ब्लड केंसर जैसी बीमारियों के कारण भी कई अभागे अपनी आंखें गवां बैठते हैं।

गांवों से लेकर शिक्षित समाज में आज भी नेत्र दान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं कि, आंखें दान कर देने से अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे, नेत्रदान से शरीर खराब हो जाता है। तो इन्हें दूर करने का प्रयास करें क्योंकि इनमें किसी भी तरह की सच्चाई नहीं। मरने के बाद नेत्रबैंक के व्यक्ति मृतक के चेहरे को बिना बिगाड़े आसानी से आंखों को निकाल लेते हैं।

नेत्र रोग विशेषज्ञ गौरव सिंह ने बताया कि कई सारे गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकते हैं। जैसे- एड्स, हैपेटैटिस, पीलिया, ब्लड केन्सर, रेबीज (कुत्ते का काटा), सेप्टीसिमिया, गैंगरीन, ब्रेन टयूमर, आंख के आगे की काली पुतली (कार्निया) की ख़राबी हो, अथवा ज़हर आदि से मृत्यु हुई हो या इसी प्रकार के दूसरे संक्रामक रोग हों, तो इन्हें नेत्रदान की मनाही होती है।

गौरव सिंह बताते हैं कि चश्मा पहनने वाले, मधुमेह (डायबिटीज़), अस्थमा, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और अन्य शारीरिक विकारों जैसे सांस फूलना, हृदय रोग, क्षय रोग आदि के रोगी नेत्र दान कर सकते हैं। इसके अलावा मोतियाबिंद, कालापानी या आंखों का आपरेशन करवाने वाले व्यक्ति भी आसानी से नेत्रदान कर सकते हैं। नेत्रदान का पूरा प्रोसेस आसान होने के साथ मात्र 15-20 मिनट में पूरी भी हो जाता है।

हिंदुस्थान समाचार/अंबरीष/राजेश

   

सम्बंधित खबर