विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षक भर्ती घोटाले की निष्पक्ष जांच नहीं होने देना चाहता : अभाविप

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय का फोटो

- विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के बयान के बाद शिकायतकर्ताओं का आक्रोश आया सामने

झांसी,13 जून (हि.स.)। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती में अनियमितताओं के संदर्भ में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने बड़ा आंदोलन किया था, जिसके पश्चात विश्वद्यालय द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को स्थगित कर जांच के लिए जांच समिति का गठन किया गया था। उक्त भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता संबंधी कई शिकायतें स्थानीय जन प्रतिनिधियों तथा अन्य के द्वारा भी शासन में की गई थी। बीते रोज जांच समिति की बैठक थी। इसमें कुछ शिकायतकर्ताओं को बुलाया गया था। जबकि कुछ तक सूचना ही नहीं पहुंची थी।

वहीं बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के बयान ने मामले को और हवा दे दी है। शिकायतकर्ताओं बयान के खिलाफ गुबार फूट पड़ा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने तो यहां तक कह दिया कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षक भर्ती घोटाले की निष्पक्ष जांच नहीं होने देना चाहता है।

13 जून को प्रकाशित खबर के अनुसार जांच समिति द्वारा उक्त प्रकरण में सभी शिकायतकर्ताओं को जांच समिति के समक्ष प्रस्तुत हो अपना बयान दर्ज करवाने एवं सबूत देने के लिए बुलाया गया था। ऐसा कहा गया है जबकि कुछ लोगों को सूचना ही नहीं दी गई। इसी खबर में विश्वद्यालय के कुलसचिव के हवाले से कहा गया है कि शिकायतकर्ताओं को बयान दर्ज करवाने के लिए यह प्रथम एवं अंतिम अवसर है।

उक्त खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अभाविप झांसी के महानगर मंत्री सुयश ने कहा कि समिति को निष्पक्ष होकर लगाए गए सभी आरोपों की गहन जांच करनी चाहिए। भर्ती प्रक्रिया गोपनीय होती है और सर्वविदित है कि गोपनीय अभिलेखों और गोपनीय कार्यवाही के सभी सबूत शिकायतकर्ताओं को उपलब्ध नहीं हो सकते है। अतः आवश्यक है कि शिकायतकर्ताओं के बयान और सबूतों के अतिरिक्त संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया के प्रत्येक चरण यथा विज्ञापन, अर्हता, योग्यता, विशेषज्ञता, स्क्रीनिंग, शॉर्टलिस्टिंग, साक्षात्कार आदि की गहन और निष्पक्ष जांच की जाए ताकि गड़बड़ियां प्रकाश में आ सकें। जांच समिति के सम्मुख उपस्थिति का समय और अवसर विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा नहीं बल्कि जांच समिति द्वारा तय किया जाना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि जांच के नाम पर मात्र औपचारितका की जा रही है।

अभाविप की जांच समिति से अपेक्षा है कि सभी शिकायतकर्ताओं की बात को गंभीरता से सुनकर पूरी भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच की जाए। यदि जांच के नाम पर खाना पूरी और लीपा पोती की जाएगी तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पुनः उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी, जिसका संपूर्ण उत्तरदायित्व विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।

जांच समिति का उड़ाया जा रहा मजाक

कर्नाटक सेंट्रल यूनिवर्सिटी के फर्स्ट कोर्ट मेम्बर रहे शिकायतकर्ता डॉ. सुनील तिवारी ने कहा कि जांच समिति को मजाक बनाकर रख दिया है। उन्होंने बताया कि जांच समिति की बैठक में जांच समिति के सदस्य के साथ विश्वविद्यालय के भिं तमाम लोग उपस्थित थे। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच समिति के मामले में रजिस्ट्रार द्वारा बयान दिया जाना कतई उचित नहीं है। ऐसे में भला जांच समिति अपना कार्य निष्पक्षता के साथ कैसे कर पाएगी। उन्होंने कहा कि जब उन्हें जानकारी ही नहीं दी गई तो किस आधार पर पहला और अंतिम अवसर बता रहे हैं। क्या जन भावनाओं से खेलना इतना आसान होगा। मैंने तो उपस्थित होकर अपने साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए पत्र देकर समय मांगा है।

विधायक बोले जारी रहेगा संघर्ष

गरौठा विधायक जवाहरलाल राजपूत ने बताया कि उन्हें जांच समिति की बैठक के संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई थी। फिलहाल वह बाहर हैं। आने के बाद मैं फिर से आवेदन दूंगा कि मेरे साक्ष्य संकलित कराकर मुझे भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक भर्ती में अनियमितता हुई इसके लिए न्याय न मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।

पता भी सही नहीं लिखा गया

वहीं शिकायतकर्ता कुंवर सत्येन्द्र पाल सिंह ने बताया कि शिकायत पत्र पर उन्होंने अपना पूरा पता डाला था। जब उन्हें सूचना पत्र भेजा गया तो पता गलत डालते हुए नई बस्ती के स्थान पर आशिक चौराहा लिख दिया। ताकि पत्र उन तक ना पहुंचे। उन्होंने विश्वविद्यालय के इस रवैये को खेदजनक बताया।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/मोहित

   

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