लखनऊ के मेदांता हास्पिटल में हुआ 50वां लिवर ट्रांसप्लांट

लखनऊ, 20 जून (हि.स.)। लखनऊ के मेदांता हास्पिटल में हाल ही में 50वीं लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की गई। यह मध्य एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसी एक हॉस्पिटल द्वारा किया गया सबसे अधिक लिवर ट्रांसप्लांट है। चेयरमैन और चीफ लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. एएस सोइन ने कहा कि यह क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और स्थानीय मरीजों के लिए एक बड़ी राहत है क्योंकि अब उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट के लिए राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। लखनऊ के मेदांता में ही अत्याधुनिक लिवर प्रत्यारोपण की सुविधाएं उपलब्ध है।

यह ट्रांसप्लांट 3 साल के बच्चों से लेकर 61 साल के बुजुर्गों तक में किए गए, जिनमें मध्य/पूर्वी उत्तर प्रदेश में लिवर ट्रांसप्लांट कराने वाले सबसे छोटे और सबसे बुजुर्ग मरीज हैं। अधिकांश मरीज (17) लखनऊ से थे, इसके बाद प्रयागराज (8) और बाकी वाराणसी, गोरखपुर, फैजाबाद, कानपुर, उन्नाव, मथुरा आदि से थे, जो पूरे मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश को कवर करते हैं। यमन से आए हुए एक 31 वर्षीय पुरुष मरीज का भी लखनऊ के मेदांता में आपातकालीन जीवन रक्षक ट्रांसप्लांट किया गया, वह इस क्षेत्र में सफल लिवर ट्रांसप्लांट कराने वाला पहला अंतरराष्ट्रीय मरीज है।

मेदांता के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्रशांत भंगुई ने बताया कि यमन से आए मरीज का भाई सऊदी अरब से अपने भाई के लिए लिवर दान करने आया था। दोनों भाई एक महीने के भीतर ही स्वस्थ होकर लौट गए। यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश में मेडिकल टूरिज्म के द्वार खोलती है।

शराब सेवन के कारण 34 फीसदी रोगियों में लिवर खराब होने का मुख्य कारण शराब का सेवन पाया गया है। इसके बाद 22 फीसदी रोगियों में एमएएसएच (फैटी लिवर और इसकी जटिलताएं) थी। सीनियर कंसल्टेंट और लीवर प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. विवेक गुप्ता ने कहा कि 2050 तक फैटी लिवर और डायबिटीज लिवर की क्षति का सबसे बड़ा कारण बनने की संभावना है। जीवनशैली में बदलाव और मधुमेह प्रबंधन से ऐसे मरीजों में लीवर की क्षति को रोका जा सकता है।

लिवर कैंसर और हेपेटाइटिस (बी और सी) के लिए लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई। एडवांस्ड स्टेज के लिवर कैंसर के लिए लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र संभव इलाज हो सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/पवन

   

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