विद्यार्थी विकसित भारत की संकल्पना के सहभागी बनें: राज्यपाल

जयपुर /कोटा, 25 जून (हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि कृषि विश्वविद्यालय किसानों के लिए हितकर योजनाओं का निर्माण ही नहीं करे बल्कि वे आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रसार केन्द्र के रूप में भी अपनी पहचान बनाएं। उन्होंने विद्यार्थियों को डिग्री प्राप्त कर विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने में सहभागी बनने का भी आह्वान किया है।

राज्यपाल मंगलवार को कृषि विश्वविद्यालय कोटा के सातवें दीक्षांत समारोह में स्नातक एवं स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों को गोल्ड मेडल एवं उपाधियां प्रदान करने के बाद संबोधित कर रहे थे। दीक्षांत समारोह में 310 अभ्यर्थियों को उपाधियां जबकि 10 अभ्यर्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए। गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों में छह छात्राएं एवं चार छात्र शामिल थे।

राज्यपाल ने छात्राओं के कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ने पर बधाई देते हुए कहा कि कृषि शिक्षा में छात्राओं ने तेजी से आगे बढ़कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। यह देश एवं समाज के लिए शुभ लक्षण है। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों का आव्हान किया कि वे पारम्परिक खेती के साथ ही दूसरे देशों में कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयोगों को ध्यान में रखते हुए किसानों की उपज बढ़ाने की दिशा में प्रयास करें। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में उन्नत तकनीक के प्रयोग पर जोर दिया।

मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालय, कृषि प्रबंधन से जुड़े क्षेत्रों में सतत् अनुसंधान के विकास कार्य कर रोजगारोन्मुखी दक्षता बढ़ाने के लिए भी निरंतर कार्य करें। इसी से युवाओं का कृषि की ओर रूझान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि कृषि उद्यमिता के अंतर्गत नवाचार अपनाते हुए निंरतर कार्य किए जाने की भी नितांत आवश्यकता है। कृषि उत्पादों के विपणन, कृषि भंडारण आदि क्षेत्रों में नवाचार अपनाते हुए रोजगार के नवीन अवसर सृजित किए जाएं। कृषि क्षेत्र में शोध और अनुसंधान में भी आधुनिक दृष्टिकोण के साथ हमारे अपने परिवेष को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जाए।

राज्यपाल ने कहा कि कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स और ड्रोन तकनीक का बढ़ता हुआ महत्व न केवल खेती के पारंम्परिक तरीकों को बदल रहा है, बल्कि इसे अधिक कुशल और प्रभावी भी बना रहा है। उन्होंने कहा कि एग्री-टूरिज्म कृषि के क्षेत्र में नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण आयाम है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकता है। यह किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है और पर्यटकों को प्रकृति और कृषि के प्रति जागरूक भी करता है। एग्री-टूरिज्म को बढ़ावा कैसे मिले और कैसे युवाओं को प्रेरित किया जाए-इस पर भी विश्वविद्यालय कार्य करें। कोटा संभाग में एग्री-टूरिज्म के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं।

राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय, कोटा में ‘‘कुलपति विद्यार्थी संवाद’’ नवाचार की पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे संवाद विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के साथ उन्हें युग की चुनौतियों के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2023 के दौरान चना, मसूर व उड़द फसलों की 5 नई उन्नत किस्में अनुमोदित करने एवं 29 नई उन्नत तकनीकियां विकसित करने तथा 14 हजार 807 क्विंटल उच्च गुणवत्ता का बीज कृषकों को उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने पूरे विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी।

दीक्षांत अतिथि एवं रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय विश्वविद्यालय झांसी के चांसलर प्रो. पंजाब सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि कृषि के क्षेत्र में शोध एवं अध्ययन करने वाले युवाओं का भविष्य उज्जवल है, क्योंकि इस क्षेत्र में ग्रोथ की संभावनाएं काफी हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अभय कुमार व्यास ने विश्वविद्यालय को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित चना एवं उड़द की चार नई किस्मों का लोकार्पण किया। साथ ही, विश्वविद्यालय में नवनिर्मित 5 इकाईयों-कॉमन इंक्युबेशन सेंटर, बीज संवर्धन एवं प्रसंस्करण इकाई (खानपुर), वातानुकूलित निराद्रीकृत बीज गोदाम, बीज संवर्धन एवं प्रसंस्करण इकाई (अकलेरा), बीज गोदामों आदि का लोकार्पण किया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तकनीकी एवं विश्वविद्यालय द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

समारोह की शुरूआत में राज्यपाल ने संविधान की उद्देशिका एवं मूल कर्तव्यों का वाचन किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

   

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