देसंविवि में वसुधैव कुटुम्बकम पर व्याख्यानमाला

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में व्याख्यान माला

- शांति का संदेश मानवता को जोड़े रखने के लिए आवश्यक: डॉ. टोजे

हरिद्वार 28 जून (हि.स.)। नॉर्वेजियन नोबल समिति के डिप्टी लीडर डॉ असले टोजे ने कहा कि भारत ने दुनिया को शांति का संदेश दिया है। शांति का संदेश मानवता और प्रकृति से जोड़ने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत आध्यात्मिक प्रवाह का केन्द्र है और यह मेरे हृदय के सबसे करीब है। डॉ. टोजे देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में वसुधैव कुटुम्बकम् विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

डॉ. टोजे ने कहा कि हमारी पीढ़ी में मोबाइल फोन का बहुत बडा महत्व है। हमें चाहिए कि इसका उपयोग मनोरंजन के लिए ही नहीं, रचनात्मक कार्यों के लिए, संस्कृति का जानने तथा आत्मिक विकास के लिए करना चाहिए। भारत ने वैदिक संस्कृति के संवाहक के रूप में विश्वभर के लिए जो वसीयत संजोये रखी है, वह निःसंदेह ही सकारात्मकता का परिचायक है।

इससे पूर्व देसंविवि के प्रतिकुलपति व संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) द्वारा विश्व शांति के लिए गठित अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक आध्यात्मिक मंच के निदेशक डॉ चिन्मय पण्ड्या ने देसंविवि के कुलपिता युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि एकता, समता, शुचिता एवं ममता गायत्री परिवार की मुख्य आधार है। इस अवसर पर प्रतिकुलपति ने डॉ टोजे को गायत्री मंत्र लिखित चादर, रुद्राक्ष माला, स्मृति चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया।

डॉ टोजे ने देसंविवि में स्थापित एशिया के एकमात्र बाल्टिक सेंटर और दक्षिण एशियाई संस्थान का अध्ययन किया। सेंटर द्वारा भारतीय संस्कृति एवं विश्व में शांति के लिए चलाई जा रही गतिविधियों पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने स्वरोजगार को प्रेरित करने वाले स्वावलंबन कार्यशाला का अवलोकन किया और प्रज्ञेश्वर महादेव की पूजा अर्चना कर विश्वशांति की कामना की। इस दौरान कुलपति श्री शरद पारधी, कुलसचिव श्री बलदाऊ देवांगन सहित समस्त विभागाध्यक्ष, देसंविवि व शांतिकुंज परिवार के अनेक कार्यकर्तागण उपस्थित रहे। मंच संचालन डॉ इप्सित प्रताप सिंह व प्रथम पाटिल ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / रजनीकांत/प्रभात

   

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