पुनर्वास के जरिये शिमला शहर को भिखारियों से मुक्त करने की कवायद

शिमला, 03 जुलाई (हि.स.)। पर्यटन नगरी शिमला को भिखारियों से मुक्त करने के लिए प्रशासन ने नई कवायद शुरू की है। इसके तहत हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की सहायता से भिखारियों का पुनर्वास किया जाएगा। इसके अलावा भिखारियों को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण देने का प्रावधान भी किया गया है। जिला प्रशासन ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत रोजगार मुहैया करवाया जाएगा।

शिमला के जिलाधीश अनुपम कश्यप ने बताया कि भिक्षा मुक्त भारत बनाने की दिशा में चयनित हुए शिमला शहर में स्माईल योजना के तहत भिखारियों का पुनर्वास किया जाएगा। इस योजना में नाबालिग बच्चें, जो भिक्षावृति करते है, उनका पुनर्वास करके नजदीकी स्कूल में दाखिला करवाया जाने का प्रावधान है।

उन्होंने बताया कि इस दौरान उक्त नाबालिग का सारा खर्च शिक्षा विभाग द्वारा वहन किया जाएगा। वहीं व्यस्क भिखारियों को नशा मुक्ति केंद्र (केवल उन्हें जो नशे की चपेट में है) और गरिमा गृह में स्थानांतरित किया जाएगा। यहां पर इन्हें रहने, खाने पीने, कपड़े, मनारेंजन, अन्य दैनिक गतिविधियों की सुविधा मिलेगी और काउंसलिंग भी की जाएगी। नगर निगम ने लक्क्ड़ बाजार और चैड़ा मैदान में दो गरिमा गृहों को योजना के तहत चयनित किया है।

सर्वेक्षण में 27 भिखारियों की पहचान

इस योजना के तहत जिला कल्याण अधिकारी को नोडल आफिसर नियुक्त किया गया। आयुक्त नगर निगम शिमला के नेतृत्व में शहर के भिखारियों का सर्वेक्षण किया गया है। इसमें भिखारियों के बैठने की जगह, पहचान, कब से भीख मांग रहे आदि के बारे में जानकारी एकत्रित करना शामिल है। शिमला में 27 भिखारियों की पहचान की गई है। इसमें 26 व्यस्क और एक नाबालिग शामिल है।

स्माईल योजना के तहत खर्च होंगे 17 लाख 60 हजार रुपए

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से 17 लाख 60 हजार रुपये इस योजना के तहत शिमला शहर में भिखारियों के पुनर्वास पर व्यय किए जाएंगे। ये राशि नगर निगम शिमला को स्थानांतरित कर दी गई है।

हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल

/सुनील

   

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