चुनाव जीतने के एक महीने बाद भी शपथ ग्रहण का इंतजार, विधानसभा में दो नवनिर्वाचित विधायकों का धरना जारी

कोलकाता, 4 जुलाई (हि.स.) । हालिया उपचुनाव में तृणमूल के विजयी विधायकों सायंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन को चुनाव जीतने के एक महीने बाद भी शपथ ग्रहण का इंतजार है। दोनों नवनिर्वाचित विधायक विधानसभा में लगातार धरने पर बैठे हैं। पिछले महीने चार जून को ही उपचुनाव के परिणाम आए थे। आज चार जुलाई है, यानी पूरी एक महीना हो गयी लेकिन शपथ ग्रहण नहीं हो पाया है। पिछले महीने चार जून को लोकसभा चुनावों के साथ ही बराहनगर और भगवानगोला उपचुनावों के परिणाम घोषित किए गए थे। शपथ ग्रहण प्रक्रिया को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच तकरार जारी हैं। विधानसभा सूत्रों के अनुसार, इस जटिलता को हल करने के लिए स्पीकर विमान बनर्जी ने कानूनी सलाह लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता से बातचीत भी की है।

पिछले बुधवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने विधायकों को राजभवन में शपथ दिलाने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन तृणमूल विधायकों ने जवाबी पत्र में लिखा कि वे विधानसभा में शपथ ग्रहण करना चाहते हैं और राज्यपाल को विधानसभा आकर उन्हें शपथ दिलानी चाहिए। स्पीकर ने भी इसी मांग के साथ राज्यपाल को पत्र लिखा था। उसी दिन राज्यपाल दिल्ली के लिए रवाना हो गए। मंगलवार को राज्यपाल कुछ समय के लिए सिलीगुड़ी आए, लेकिन कोलकाता नहीं आए। इस स्थिति में शपथ ग्रहण कब संभव होगा, इसे लेकर विधानसभा संशय की स्थिति है।

बराहनगर की विजयी तृणमूल उम्मीदवार सायंतिका ने गुरुवार को कहा, स्पीकर ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। इसके बावजूद राजभवन से कोई उत्तर नहीं मिलने पर हमें कानूनी कार्रवाई का ही सहारा लेना पड़ेगा।

गुरुवार को, जीत के एक महीने पूरा होने के दिन, सायंतिका और रेयात विधानसभा में अंबेडकर की मूर्ति के नीचे धरने पर बैठे हैं। वे पिछले सप्ताह से धरना दे रहे हैं। शपथ ग्रहण की जटिलता को दूर करने के लिए स्पीकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा था और राज्य के पूर्व राज्यपाल और वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी बात की थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। हाल ही में एक सरकारी बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल पर हमला बोला था। उन्होंने कहा, जीत के बाद भी एक महीने से मेरे विधायक बैठे हुए हैं! राज्यपाल उन्हें शपथ लेने नहीं दे रहे। जनता ने उन्हें चुना है। उनका क्या अधिकार है उन्हें शपथ न लेने देने का? वे स्पीकर को यह अधिकार दें या डिप्टी स्पीकर को। अगर नहीं तो खुद विधानसभा में जाएं। सब लोग राजभवन क्यों जाएंगे? राजभवन में जो हो रहा है, उसे लेकर महिलाएं जाने से डर रही हैं, यह मुझसे शिकायत की गई है।

मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी के बाद, राज्यपाल बोस ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में मानहानि का मामला दर्ज किया है और इस मामले में नव-निर्वाचित दो विधायकों सायंतिका और रेयात को भी शामिल किया है। इसलिए, शपथ ग्रहण की जटिलता का समाधान के लिए स्पीकर अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश

   

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