महात्मा गांधी चिंतक, दार्शनिक, बैरिस्टर के साथ थे कुशल व्यक्ति : डॉ अविनाश

प्रयागराज, 04 जनवरी (हि.स.)। महात्मा गांधी चिंतक, दार्शनिक, बैरिस्टर के साथ एक कुशल व्यक्ति थे। उनके अन्दर देश को आजाद कराने की एक आग थी। गांधी की भौतिक पैमाइश और उनके संघर्ष को देखें तो गांधी एक अतिशय संभ्रांत और धनाढ्य कुल में पैदा होने वाले व्यक्ति थे। गांधी को गांधी उनकी शिक्षा और उनके संघर्ष ने बनाया।

यह बातें डॉ अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने महात्मा गांधी के समावेशी दर्शन एवं समीक्षात्मक अवलोकन पर सम्बोधित करते हुए कही। ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में आई.सी.पी.आर द्वारा प्रायोजित दर्शनशास्त्र विभाग में ‘महात्मा गांधी का समावेशी दर्शन : एक समीक्षात्मक अवलोकन’ पर विशिष्ट व्याख्यान में उन्होंने कहा कि गांधी को गांधी के रूप में रचने का पहला चरण उनकी शिक्षा ही थी। गांधी ने स्वयं कहा कि मैं असफलता की कोख से जन्मा एक असफल व्यक्ति हूं। इतिहास ने गांधी को रचा है। गांधी को समय ने इंच-दर-इंच गढ़ा है।

उन्होंने आगे कहा कि इतिहास को फिर से गढ़ने का नाम मोहन दास करमचन्द गांधी है। ब्रिटिश हुकूमत ने कहा कि ये भारत के लोग असभ्य और बर्बर हैं। हम इनको बनाने आये हैं। गांधी पहली बार 5 जुलाई 1896 में प्रयागराज पधारे। डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि जो अच्छा श्रोता होता है वही अच्छा वक्ता होता है। गांधी एक अच्छे श्रोता और महत्वपूर्ण वक्ता थे। वह वर्ष भर शांत होकर घूमते रहे हैं और उनका संघर्ष चम्पारण से शुरू होता है। गांधी राजनीति में शुचिता का प्रयोग करते थे।

उन्होंने अंग्रेजों को कहा मेरे हिस्से का कपड़ा तुम लोगों ने पहन रखा है। इसलिए तुम हमें नैतिकता मत सिखाओ। उन्होंने कहा कि गांधी के आंदोलन में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी। गांधी अपने समर्पण, अपनी राजनीति, अपने धैर्य से राष्ट्र का निर्माण करना चाह रहे थे। गांधी को किताबों से निकालना पड़ेगा, उनको सुनना पड़ेगा।

डॉ मनोज कुमार दूबे ने बताया कि संचालन दर्शनशास्त्र विभाग की सहायक आचार्या डॉ शिखा श्रीवास्तव व धन्यवाद ज्ञापन दर्शनशास्त्र विभाग की संयोजिका डॉ अमिता पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर डॉ धीरेन्द्र द्विवेदी, डॉ अमरजीत राम, डॉ कृपा किंजलकम, डॉ महेन्द्र प्रसाद, डॉ विजय तिवारी, डॉ महेश राय, डॉ प्रियंका सिंह सहित कॉलेज के शोधार्थी, छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/राजेश

   

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