हिमाचल प्रदेश में मछलियों के लिए सिफाब्रूड आहार का उत्पादन, प्रजनन क्षमता में होगी वृद्धि
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- Oct 23, 2024
शिमला, 23 अक्टूबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में मछलियों के पोषण और सही डाइट को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। राज्य में अब मछलियों के लिए विशेष पौष्टिक आहार ‘सिफाब्रूड’ तैयार किया जाएगा। यह कदम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय मीठाजल जलकृषि संस्थान भुवनेश्वर (आईसीएआर-सीआईएफए) और प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते के फलस्वरूप संभव हुआ है।
सिफाब्रूड मछलियों की प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है और यह प्रदेश के मत्स्य उद्योग के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। मत्स्य पालन विभाग के निदेशक विवेक चंदेल ने बताया कि यह पहली बार है जब विभाग ने इस तरह की साझेदारी की है, जिसमें आईसीएआर-सीआईएफए ने सिफाब्रूड फीड का फॉर्मूला उपलब्ध कराया है।
चंदेल ने जानकारी दी कि सिफाब्रूड फीड का उत्पादन ऊना जिले के गगरेट उपमंडल स्थित दियोली कार्प फार्म में किया जाएगा। यह फीड मछली प्रजनकों को न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध होगा, जिससे मछली पालन की लागत में कमी आएगी और प्रजनन क्षमता में वृद्धि होगी। इससे प्रदेश में मछली प्रजनन और बीज उत्पादन की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होगी, जिससे मछली पालकों को सालभर उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिल सकेंगे।
सिफाब्रूड फीड मछलियों की प्रजनन क्षमता में सुधार कर हिमाचल प्रदेश के मत्स्य उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम करेगा। इस नवाचार से मछलियों की प्रजनन दर में वृद्धि होगी, जिससे मछली पालकों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
सिफाब्रूड अत्यंत पौष्टिक आहार है, जो मछलियों के अंडों की गुणवत्ता में सुधार लाता है और उनकी वृद्धि दर को तेज करता है। इसके अतिरिक्त, इसमें मौजूद विटामिन्स और खनिज मछलियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे वे बीमारियों से सुरक्षित रहती हैं।
सिफाब्रूड का उत्पादन प्रदेश की जलवायु और मछली प्रजनन चक्र के अनुरूप किया गया है, जो इसे एक दीर्घकालिक और टिकाऊ समाधान बनाता है।
हिमाचल की जलवायु के कारण मछलियां अब तक वर्ष में केवल एक बार प्रजनन करती थीं। सिफाब्रूड की पौष्टिकता से मछलियां गर्मियों में केवल 45 से 50 दिन के भीतर दोबारा प्रजनन के लिए तैयार हो जाएंगी। इससे मछली बीज की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी, जो अब तक प्रदेश में मत्स्य पालन व्यवसाय के विकास में एक प्रमुख बाधा रही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला