'पुष्करणा सावा रंग' में चित्रकारों ने बनाए परम्पराओं व रीत रिवाज के चित्र

बीकानेर, 10 जनवरी (हि.स.)। पुष्करणा सावा संस्कृति की विभिन्न पौराणिक परम्पराओं, रस्मों व रीति रिवाज को केनवास पर उकेरने का कार्यक्रम 'सावा रंग' बारह गुवाड़ चौक स्थित रमक झमक में आयोजित हुआ।

रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा 'भैरुं' ने बताया कि 'सावा रंग' कार्यक्रम में युवा चित्रकार तनया पुरोहित, पूर्वांसी पुरोहित, वीनस ओझा, नेहा ओझा, विजयश्री रंगा, आरती भादाणी, पुलकित हर्ष, मंगला ओझा, गणेश रंगा, केशव जोशी, आशुतोष व्यास, युक्ता भादाणी, प्रज्ञा आचार्य, केशव दत्त ओझा, नवीन बोडा, हर्षिता हर्ष, राधे व्यास, योगेश रंगा, लेखक व्यास व सोनाली व्यास युवा चित्रकारों के साथ ही वरिष्ठ चित्रकार डॉ राकेश किराडू, मास्टर योगेंद कुमार पुरोहित तथा राम कुमार भादाणी ने बिरध बिनायक से शुरू कर, बाट बड़ी, सगाई रस्म, विवाह लग्न पत्रिका, छिंकि, खोला, टिकी, बड़बेला, बड़ पापड़, हल्दी, खिरोडा, विष्णु स्वरूप में तैयार बींद, खिड़़किया पाग, पोखना, मामा चुनरी पहने बींदणी, चंवरी, सेवरला, फेरे, तोरण, बन्ना-बन्नी के मेहंदी, लग्न पत्रिका, बरी, खिड़किया पाग के चित्र बनाकर सावा दृश्य को दर्शाया।

सावा रंग चित्रांकन कार्यक्रम के शुभारंभ पर समाज सेवी उद्योगपति राजेश चूरा, डॉ मुकेश हर्ष, गोविंद छंगाणी, महेंद्र जोशी एवं प्रेम रतन छंगाणी ने चित्रकारों से परिचय करवाया। चूरा ने कहा कि किसी भी परम्परा और सस्कृति को पाश्चात्य कुप्रभाव से बचाए रखने के लिये उस क्षेत्र के स्थानीय कलाकारों की भूमिका अहम होती है। चित्रकार के बनाए चित्र आने वाली पीढियां देखने व उनके बारे में समझना चाहती है, इसी जिज्ञासा से परम्पराएं लुप्त होने से बची रहती है। रमक झमक का 'सावा रंग' जैसा नवाचार और परम्परा रस्मों के चित्र बीकानेर सावा संस्कृति को लुप्त होने से बचाने में एक सार्थक कदम है। रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा 'भैरुं' ने कहा कि इन चित्रों को मकर सक्रांति के बाद आमजन व पर्यटकों के लिये प्रदर्शित किया जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर

   

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