खेग्रामस ने पांच गारंटी आंदोलन के तहत किया प्रदर्शनबेतिया ब्लॉक पर गरीबों ने किया प्रदर्शन।

बेतिया,18 जनवरी (हि.स)। गरीबों को पक्का मकान और मनरेगा में 600 रुपए दैनिक मजदूरी क्यों नहीं, मोदी सरकार जवाब दो! सामाजिक आर्थिक सर्वे के मुताबिक नया वास आवास कानून बनाओ, 3000 रुपए मासिक पेंशन दो! दलित - गरीबों का फर्जी बिजली बिल वापस लो, 200 यूनिट फ्री बिजली दो! महाज़नी सूदखोरी बंद करो, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों का ब्याज दर हाफ करो! आदि नारा व मांग को लेकर राज्य स्तरीय कार्यक्रम के तहत खेत व ग्रामीण मजदूर सभा ( खेग्रामस) के बैनर तले बेतिया अंचल कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया।

सभा को इंकलाबी नौजवान सभा जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा 2022 तक सबों को पक्का मकान देने का वादा किया गया लेकिन इसका लाभ बिहार को नहीं के बराबर मिला। 2017 के बाद से राज्य पूरी तरह से उपेक्षित रहा है, यही कारण है कि राज्य में आवासहीनता की तस्वीर भयावह है।लाखों मनरेगा मजदूरों को केंद्र सरकार पेट पर लात मार रही है। 228 रुपए की दैनिक मजदूरी कहीं और किसी काम में नहीं है, वैसी गैर कानूनी मजदूरी थोप रही है जो न्यूनतम मजदूरी कानून का उल्लंघन है।

दरअसल मनरेगा की अति अल्प मजदूरी कॉर्पोरेट्स के हित में है।आसमान छूती मंहगाई में केंद्र सरकार की ओर से कोई राहत पैकेज नहीं है।भोजन अधिकार कानून के नाम पर 5किलो सूखा अनाज के नाम पर गरीबों को ठगा जा रहा है। सब तरह का टैक्स जीएसटी के नाम पर भारत सरकार वसूलती है लेकिन दलित_गरीबों के घर में बिजली की गारंटी के लिए गरीब राज्य को विशेष मदद देने से भाग खड़ी हो रही है! भाकपा माले राज्य कमिटी सदस्य सुनील यादव ने कहा कि सामाजिक आर्थिक रिपोर्ट से बिहार में गरीबी, आवासहीनता और शिक्षा की भयावह तस्वीर उभरकर सामने आई है,राज्य सरकार को इसके मद्देनजर गरीबी उन्मूलन के समेकित पैकेज बनाना चाहिए।दलितों,कमजोर वर्ग के लोगों,अक्लियतो और महिलाओं के सुरक्षा_सम्मान के प्रति सरकार की गंभीरता_संवेदनशीलता अपेक्षित नहीं है जिससे दलित उत्पीड़न की बर्बर घटनाएं सामने आ रही हैं।

स्थानीय सवालों को भी उठाते हुए कहा कि जिस जमीन पर गरीब बसें है उनको वही पर कानूनी अधिकार दिया जाए, बेतिया ग्रामीण क्षेत्र जो नगर निगम में आ गया है वहा नया कानून बनाकर गरीबों को जमीन और मकान देने का गारंटी किया जाये।

हिन्दुस्थान समाचार / अमानुल हक़ /चंदा

   

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