प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक की 55वीं पुण्यतिथि शांति दिवस के रूप में मनी

अररिया फोटो:ओम शांति के ड्रा में दादा लेखराज की पुण्यतिथिअररिया फोटो:ओम शांति के ड्रा में दादा लेखराज की पुण्यतिथिअररिया फोटो:ओम शांति के ड्रा में दादा लेखराज की पुण्यतिथिअररिया फोटो:ओम शांति के ड्रा में दादा लेखराज की पुण्यतिथि

अररिया, 18जनवरी(हि.स.)। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक ब्रह्मा बाबा दादा लेखराज की 55वीं पुण्यतिथि विश्व शांति दिवस के रूप में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शाखा फारबिसगंज में गुरुवार को केंद्र की संचालिका बी के रुक्मा दीदी के नेतृत्व में आध्यात्मिक रूप से मनाई गई।

मौके पर संचालिका दीदी ने बताया कि इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना 1937 में तत्कालिन सिंध प्रांत के हैदराबाद में दादा लेखराज के माध्यम से किया गया।वर्तमान में यह संस्था विश्व के 140 देशों में फैली हुई है।

ब्रह्मा कुमारी फारबिसगंज राजयोग सेवा केंद्र की मुख्य संचालिका बी के दीदी जी ने ब्रह्मा बाबा के जीवन कहानी का वर्णन किया तथा उनके समान बनने के लिए प्रेरणा देते हुए कहा कि जब बाबा संपूर्ण स्थिति को प्राप्त हो गए तब वो सन 1969 में अव्यक्त होने से पूर्व सबसे मिले और अंतिम महावाक्य निरकारी ,निर्विकारी और निरंकारी का उच्चारण किया।

अपने संबोधन में अजातशत्रु अग्रवाल ने कहा कि मानव की पहचान उसके नाम से नही वरन उसके कामों से होती ह, जिसे पूज्य बाबा ने साबित कर दिखाया। जिस कारण आज पूरे विश्व के 140 देशों मे वे यादगार बने हुए हैं। डॉ उमेशचंद्र मंडल ने अपने लौकिक और पारलौकिक पिता को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। शांति मैडम ने बाबा के अव्यक्त पालना के कई अनुभव अपनी गीतिका के जरिए सुनाया।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/चंदा

   

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