बेहतर देखभाल व उपचार से फाइलेरिया मरीजों को मिली राहत

- नियमित व्यायाम व साफ-सफाई से सूजन हुई कम, जी रहे सामान्य जीवन

कानपुर, 19 जनवरी (हि.स.)। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह जीवन के अंतिम समय तक साथ रहती है, लेकिन इसका बेहतर प्रबंधन किया जाए तो न केवल रोगी सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो सकता है, बल्कि बीमारी को गंभीर होने से भी रोका जा सकता है।

इसके लिए स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया मरीजों को प्रभावित अंगो की देखभाल के लिए मारबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिस्बिलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) ट्रेनिंग और किट प्रदान करता है। इस प्रशिक्षण में मरीजों को किट के जरिए बीमारी को गंभीर होने से रोकने व विकलांगता से बचाव के सभी गुर भी सिखाये जाते हैं। बीते दिनों सरसौल सीएचसी एवं विभिन्न गांवों में अलग-अलग समय में पाथ और सीफार संस्था के सहयोग से सेहत महकमे ने फाइलेरिया मरीजों को प्रशिक्षित किया। इस प्रशिक्षण से मरीजों को काफी लाभ भी हुआ है।

फाइलेरिया मरीजों की जुबानी

हाथीपुर गांव की निवासी और बाबा पंचायतेश्वर फाइलेरिया रोगी सहायता समूह की सदस्य उमा शुक्ल का कहना है कि जिस प्रकार से मुझे ट्रेनिंग में बताया गया था मैं उसी तरह से प्रतिदिन व्यायाम करती हूं और अपने पैर की सफाई भी रखती हूं। वह बताती हैं कि मेरे दाहिने पैर में 30 साल से फाइलेरिया है। नियमित व्यायाम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि पिछले साल मैं अपने पैर में जिस पायल को नहीं पहन पाती थी, उसे अब आसानी से पहन लेती हूं, और अपने घरेलू काम भी कर लेती हूं।

दीपापुर गांव के निवासी और बजरंग फाइलेरिया रोगी सहायता समूह के सदस्य बसंत लाल गुप्ता बताते हैं कि मैंने दो बार एमएमडीपी प्रशिक्षण लिया है। प्रशिक्षण के बाद बीते चार माह से मैं नियमित व्यायाम कर रहा हूं, जिससे मेरे पैर की सूजन लगभग खत्म हो गई है। फाइलेरिया रोगी सहायता समूह से जुड़ने और इस प्रशिक्षण के बाद मुझे पता चला कि पैर को लटका कर नहीं रखना है तब से मैं अपने पैर को लटका कर नहीं रखता हूं , कहीं बैठता हूं तो पैर को सामने किसी चीज पर या फिर दूसरे पैर पर पैर को रख लेता हूं।

फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति बरतें पूरी सावधानी

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया कि फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को पूरी सावधानी बरतनी चाहिए ताकि पैरों में सूजन न रहे। उन्हें हमेशा चप्पल या जूते पहनने चाहिए। चप्पल या जूते मुलायम होने चाहिये, पैर लटकाकर न रखें, बहुत ज्यादा देर तक न खड़े रहें। इसके साथ ही पैरों को हमेशा साफ और सूखा रखें, उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगायें। इसके अलावा महिला को पायल, बिछिया या काला धागा नहीं पहनना चाहिए क्योंकि इससे फंगस का संक्रमण होने का खतरा रहता है। चिकित्सक द्वारा बताए गए व्यायाम करने चाहिए।

अधीक्षक का कहना

सीएचसी अधीक्षक डॉ. प्रणव कुमार ने बताया कि फाइलेरिया मरीजों द्वारा नियमित रूप से व्यायाम करने का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि किसी भी मरीज को बीते 4-6 माह में कोई एक्यूट अटैक (फाइलेरिया अटैक) नहीं आया है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सरसौल ब्लॉक के करीब 15 गांवों के गंभीर मरीजों को सीफार और पाथ संस्था के सहयोग से एमएमडीपी का प्रशिक्षण देकर किट भी प्रदान की गई है। अन्य गांवों में भी इसी तरह के समूहों का शीघ्र ही गठन कर वहां के मरीजों को भी एमएमडीपी का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/महमूद/राजेश

   

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