भक्ति और ज्ञान की कोई उम्र नहीं होती : देवी राधे प्रिया

- पीठाधीश्वर स्वामी शंकराश्रम महाराज के शिविर में चल रही भगवद् कथा

प्रयागराज, 23 जनवरी (हि.स.)। देवर्षि नारद की प्रेरणा और मार्गदर्शन में बालक ध्रुव ने तपस्या करके बाल्यावस्था में ही भगवान को प्राप्त कर लिया था। भक्ति और ज्ञान की कोई उम्र नहीं होती है। इसलिए बाल्यकाल से ही भगवद् भजन अवश्य करना चाहिए।

यह बातें माघ मेला के ओल्ड जीटी रोड पर लगे पीठाधीश्वर स्वामी शंकराश्रम महाराज के शिविर में चल रही भागवद कथा में वृन्दावन की कथा व्यास देवी राधे प्रिया ने भक्तों को सम्बोधित करते हुए कही। कथा के तीसरे दिन मंगलवार को देवी राधे प्रिया ने कहा कि देवर्षि नारद ने बालक ध्रुव को महामंत्र दिया कि वह ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करे तो उसकी मनोकामना पूर्ण होगी। इस पर बालक ध्रुव ने महामंत्र का जाप करते हुए तपस्या शुरू कर दिया। तपस्या शुरू करने के छह माह बाद भगवान प्रसन्न हुए और ध्रुव की सभी मनोकामनाएं पूर्ण किया।

उन्होंने कहा कि यह कथा हमें सीख देती है कि भक्ति की कोई उम्र नहीं होती। इसलिए बचपन से भगवद् भजन अवश्य करना चाहिए। इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्वामी शंकराश्रम महाराज ने बताया कि शिविर में कथा, अन्नक्षेत्र माघी पूर्णिमा तक चलेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित

   

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