भारत की आत्मा का बोध कराएगा संस्कृत सम्मेलन, 28 को लखनऊ में होगा आगाज

- संस्कृत को समृद्ध बनाने पर होगी चर्चा, जुटेंगे विद्वान, रखेंगे विचार

- संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है संस्कृत भारती

- संस्कृत भाषा में निहित है भारतीय संस्कृति का संपूर्ण प्राचीन ज्ञान

लखनऊ, 27 जनवरी (हि.स.)। संस्कृत भाषा को समृद्ध करने की दिशा में काम कर रही संस्कृत भारती की ओर से 28 जनवरी को दोपहर दो बजे शिव मंदिर परिसर सचिवालय कालोनी महानगर लखनऊ में संस्कृत सम्मेलन का आगाज होगा। इसमें संस्कृत संभाषण क्यों, आमजन के लिए इसका क्या लाभ है, इसकी क्या उपयोगिता है, इसके साथ वर्तमान में उसके नवाचार के प्रयोग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन प्रस्तावित है। इसमें कई क्षेत्रों से जुड़े संस्कृत के जानकार विद्वान जुटेंगे। संस्कृत को समृद्ध बनाने पर चर्चा करेंगे और अपने विचार रखेंगे।

संस्कृत भारती के महानगर मंत्री डॉ. सत्यकेतु ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृत भारती वैश्विक संस्कृत क्षेत्र की संस्था है, जो संस्कृत सम्भाषण के माध्यम से संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। संस्कृत भारत की आत्मा है। भारतीय संस्कृति का संपूर्ण प्राचीन ज्ञान संस्कृत भाषा में ही निहित है। वेद, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, पुराण, दर्शन आदि समस्त साहित्य की भाषा संस्कृत ही है। भारत को पूर्व से पश्चिम और उत्तर से जोडने का सेतु संस्कृत भाषा है।

संस्कृत भाषा के प्रति संपूर्ण समाज को जागरूक करने के लिए संस्कृत भारती तत्पर

मंत्री डॉ. सत्यकेतु ने बताया कि संस्कृत भाषा के प्रति संपूर्ण समाज को जागरूक करने के लिए संस्कृत भारती तत्पर है। संस्कृत भारती में संभाषण वर्ग, आवासीय प्रबोधन वर्ग, बाल केंद्र प्रशिक्षण, शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग, विज्ञान प्रदर्शनी एवं कार्यशाला आदि विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। समय-समय पर समाज में जागरूकता के लिए सार्वजनिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/मोहित

   

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