किसी भी काम को उसके अंत को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए- गुरुभूषण साहेब

सिर्री में त्रिदिवसीय सत्संग हुआ

धमतरी, 31 जनवरी (हि.स.)। ग्राम सिर्री के सत्संग समिति एवं ग्रामीणों के सहयोग से आयोजित सत्संग समारोह में प्रवचनकर्ता गुरुभूषण साहेब ने कहा कि जीवन को सुंदर और सरल बनाने के लिए पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं है बल्कि बिना पढ़े लिखे लोग भी जीवन के उद्देश्यों और बुनियादी जरूरतों का पालन कर अच्छा जीवन यापन कर रहे हैं।

पूर्व सरपंच सरदार सौहेंद्र सिंह गुरुदत्ता के निवास स्थान में आयोजित सत्संग में आगे उन्होंने कहा कि अनपढ़ लोग भी नशापान करते हैं जिसके लिए पढ़ने लिखने की आवश्यकता नहीं होती है फिर वे गलत विचारों में पड़ जाते हैं। तो नशापान छोड़ने के लिए किसी पढ़ाई, संस्था या अन्य जगहों का का सहारा क्यों लेना पड़ रहा है। अर्थात व्यक्ति के अंदर ही प्रत्येक कार्य को सिद्ध करने की आत्मशक्ति होती है जिससे कि चाहे तो वह अपने जीवन में छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा उद्देश्यों को पूरा कर सकता है। उन्होंने प्रभावी लोगों की आदतों का जिक्र भी किया जिसमे बताया कि किसी भी काम को उसके अंत को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए। जीवन जीने की शिक्षा स्कूल, समाज आदि में नहीं दी जाती है। वह बल्कि लोग अपने विचारों, कार्यों, अनुभवों के आधार पर ही अपने जीवन की गति को दिशा देते हैं। सत्संग में प्रवचन का लाभ लेने रामेश्वर प्रसाद सिन्हा पूर्व व्याख्याता, सौहेंद्र सिंह गुरुदत्ता, विनोद सिन्हा, चंद्रहास श्रीवास, जगन्नाथ देवांगन, तुलाराम साहू, राधेरमन, सुरेश सार्वा, सालिकराम साहू, रायसिंग सहित समीपस्थ ग्राम के श्रोतागण पहुंचे।

हिन्दुस्थान समाचार/ रोशन सिन्हा

   

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